नई पुस्तकें >> दूसरा मंगलसूत्र दूसरा मंगलसूत्रदेवकी भट्ट नायक 'दीपा'
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इक्कीस कहानियों के संग्रह का नामकरण करते हुए दीपा ने 'दूसरा मंगलसूत्र' शीर्षक देकर समस्त संग्रहित कहानियों का निष्कर्ष दिया है। मेरे विचार से सभी कहानियों की कथावस्तु स्त्री पात्रों के परिगत वृत्त पर केन्द्रित है। कहानी - दूसरा मंगलसूत्र स्त्री - पात्र की नाभिकीय पीड़ा की अभिव्यक्ति का स्मारक तो है ही साथ में हमें विश्व प्रसिद्ध कथाकार प्रेमचन्द के अपूर्ण उपन्यास मंगलसूत्र का सन्दर्भ भी अनायास देती है दरअसल कथा सम्राट प्रेमचन्द से ही इस आधुनिक हिन्दी कथा जगत की शुरुआत है।
स्त्री कथाकारों के दो प्रकार हैं एक तो वे जो आस-पड़ोस में सम्बद्ध कथावस्तु सुनकर या पढ़कर अपने कथा क्रम को चुन-चुन लेती हैं और अपनी शोक संवेदना से सम्पुटित कर देशज मुहावरे और लोकोक्तियों का प्रयोग कर कथा को लोकप्रिय दर्जा योग्य बना लेती हैं। कई बार वह कथा पुरस्करण योग्य भी बन जाती है। किन्तु दूसरे प्रकार की कथाकार वे हैं जिन्होंने परिवार या दाम्पत्य विभाजन की पीड़ा स्वयं भोगी है और निम्न मध्यम वर्ग की स्त्री पीड़ा को निजता से अनुभवजन्य सरोकारों के प्रतिफलन से कथाकार बनी हैं। मैं समझता हूँ कि दीपाजी दूसरे प्रकार की कथाकार हैं। उनकी सभी कहानियाँ स्त्री जीवन के करुणा पक्ष को ही उद्घाटित करती हैं। पुरुष मानसिकता वाले समाज के स्वाथी दोगले चरित्र की परतें खोलती हैं। दीपाजी कविता भी लिखती हैं उनकी कहानी कला का यह भी एक रूप है कि उनके अनेक दृश्य, संवाद, गद्य काव्य का आनन्द देते हैं। उदीयमान कथाकार दीपा के प्रस्तुत संग्रह की कहानियाँ पाठकवृन्द के मध्य समादृत होंगी इसी मांगलिक आश्वस्ति के साथ ।
- टीकाराम त्रिपाठी
वरिष्ठ साहित्यकार
रमझिरिया, शिवाजी वार्ड, सागर (म.प्र.)
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