लोगों की राय

उपन्यास >> सुर बंजारन

सुर बंजारन

भगवानदास मोरवाल

प्रकाशक : वाणी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :336
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 16704
आईएसबीएन :9789387409392

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

हिन्दी के देशज और लोक-मानस की अनुकृतियों को उकेरने वाले कथाकार भगवानदास मोरवाल की छठी औपन्यासिक कृति है। यह उपन्यास लगभग मरणासन्न और विलुप्त होती लोक-कला का दस्तावेज़ भर नहीं है, बल्कि एक अलक्षित और गुम होती विरासत का सांस्कृतिक इतिहास भी है। इसे हिन्दी का पहला ऐसा उपन्यास कहा जा सकता है जिसके आख्यान के केन्द्र में हाथरस शैली की नौटंकी, उसकी पूरी परम्परा और सुरों की समाप्त प्रायः दुनिया है। एक ऐसी दुनिया जिसने अपना वृत्त, लोक में प्रचलित श्रुतियों, ऐतिहासिक-सामाजिक घटना-परिघटनाओं पर आधारित लोक-धुनों व सुरों से निर्मित किया है।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book