" />
लोगों की राय

भाषा एवं साहित्य >> जीने के लिये

जीने के लिये

राहुल सांकृत्यायन

प्रकाशक : किताब महल प्रकाशित वर्ष : 2019
पृष्ठ :259
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 16716
आईएसबीएन :9788122500813

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

"जीने के लिये : एक अनाथ से युद्धवीर बनने तक के संघर्ष और प्रेम की अनकही कहानी"

डेढ़ साल हुए, जबकि ”जीने के लिए” के लिखने का ख्याल आया था, लेकिन शायद अब भी वह कागज पर न आता, यदि छपरा जेल में ढाई मास रहने का अवसर न मिलता। यह मेरा पहला उपन्यास है, यदि ”बाईसवीं सदी” को उस श्रेणी से हटा दें। कितने ही मित्रों को ताज्जुब होगा, कितने मेरे नासिखियापन तथा दूसरे दोषों के कारण हँसेंगे; तो भी कलम को रोकना आसान न था, इसलिए इस अनाधिकार चेष्टा के लिए पाठक क्षमा करेंगे।

अनुक्रम

  • बाल्य स्मृति
  • माँ-बाप
  • अनाथ लड़का
  • गाँव का त्याग
  • कलकत्ता में
  • सेठ का नौकर
  • पुस्तकालय का चपरासी
  • सत्संग और शिक्षा
  • आतंकवाद से असहमत
  • मित्र का अन्त
  • फिर गाँव में
  • पल्टन में भर्ती
  • शिकार और उपकार
  • रेल यात्रा
  • हिमालय
  • महायुद्ध
  • युद्ध क्षेत्र को
  • युद्ध में घायल
  • अस्पताल में
  • दुबारा घायल
  • परिचय
  • प्रेम
  • वृद्धा का वात्सल्य
  • मित्र गोष्ठी
  • मोटर ड्राइवर
  • कोयले की फेरी
  • प्रेम और आदर्श
  • उत्तराधिकार
  • स्वदेश में
  • एक बार फिर गाँव में
  • स्वयंसेवक को सजा
  • शिक्षित-अशिक्षित
  • षड्यन्त्र
  • जेल यातना
  • कोयले की खान
  • अज्ञातवास समाप्त
  • पुनर्मिलन
  • देश-विदेश
  • अवसान

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai