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हनुमत् लीला प्रसंग पथ

सुनील गोम्बर

प्रकाशक : श्रीमती स्वीटी गोम्बर प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :142
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 16747
आईएसबीएन :9788190304313

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भूमिका

“शौर्य दाक्ष्यं बल धैर्य प्राज्ञता नयसाधनाम्।

विक्रमश्च प्रभावश्च हनूमति कृपालया:।।

(वा.रा. 7/35/3)

बुद्धि, नीति, धैर्य, शूरता, पराक्रम, ज्ञान, प्रभाव सभी का निवास स्थल ही श्री राम स्वयं अगस्त्य मुनि को बताते हैं-और इन सभी सद्गुणों का एकमात्र सदन प्रभु निरूपित करते हैं – श्री हनुमान जी को। वैराग्ययुक्त वीरता से सुशोभित, माता जानकी के “अजर अमर गुणनिधि सुत” हनुमान जी की महिमा अवर्णनीय है अनंत है, वहीं अनंत होते हुये भी नित्य नवीन प्रेरणा का ही अलौकिक प्रकाश पुंज है। कर्म, ज्ञान और भक्ति की समन्वयी सार्थकता ही श्री हनुमान जी में समाहित है। स्वयं श्री राम की सामर्थ्य शक्ति, रुद्रावतारी सूर्यदेव के परम प्रिय शिष्य हनुमान जी कलियुग के प्रत्यक्ष, सर्वाधिक लोकप्रिय और कल्याणकारी देवता हैं। भक्तगण नित्य ही हनुमानजी का मंगलाचरण समर्पित भाव एवं वाणी से करते आये हैं।

आपके दिव्य जन्म (आविर्भाव) की आञ्जनेय, पवन तनय शंकर सुवन-गाथा से भक्त सर्वदा ही आह्लादित होते आंये हैं। रामायण महामाला के अनुपम रत्न ‘सानुकूल सद्गुन सकल”, ‘खल वन पावक ग्यान घन’ हनुमानजी महाराज की विराट लीला छवि अनादिकाल से अमर गाथा बन गुंजायमान रहती आयी है। इन विराट मंगलमूरत प्रभु के अनेकानेक लीला प्रसंगों से कुछ विशिष्ट, रोचक और प्रेरक प्रसंगों को पुनः उन्हीं की सेवा में समर्पित करने का यह भाव प्रयास हनुमत्‌ प्रेरणा का प्रसाद ही है। उस कृपामूर्ति के अथाह दया सागर से कुछ प्रेरणा प्राप्त करने की यह लेखनी तो निमित्त मात्र है। हनुमत्‌ महात्म्य में रोचकता तो स्वाभाविक रूप से है ही परन्तु जिज्ञासा और कौतूहल का समाधान स्वयं हनुमानजी के लीला प्रसंगों के गूढ़ार्थों से होता जाता है। सद्‌गुणों का अमितमय उत्कर्ष ही हनुमानजी हैं। श्री रामदूत सा सेवक और भक्त, तथा भक्तों के संकटमोचक, हनुमानजी जैसा अन्यत्र कहीं नहीं।

अजर-अमर-अनंत हनुमत् लीला महात्म्य के इन प्रसंगों को सुधी पाठक रोचक और प्रेरक पायेंगे, यह विश्वास, यह कामना इस लघुत्तम सेवा प्रयास की है।

मंगलमूर्ति हनुमान जी के अलौकिक सिंदूरी प्रकाश से

आलोकित प्रसंग पथ के मुख्य द्वार पर सूर्योदय की

अरूण लालिमा मुग्ध कर रहीं हैं…

अनुक्रम

भूमिका

  • सूर्य देव को फल मान ग्रस लेने की लीला
  • सूर्य देव से शिक्षा
  • अयोध्या में प्रभु की बाल लीला में
  • बालक श्री राम का पतंग उड़ाना और सहायक हनुमान
  • रावण की कैद से शनि देव की मुक्ति
  • हनुमान जी की पूँछ में आग लगाने का प्रसंग
  • लंका दहन की लीला
  • सेतु बंधन के समय नल पर कोप
  • गोवर्धन पर्वत पर उपकार
  • ‘हनुमदीश्वर’ की प्रस्थापना
  • चंद्रमा में श्रीराम दर्शन की ज्ञान भक्ति
  • लक्ष्मण जी को शक्ति लगने पर हनुमान जी संकटमोचक
  • संजीवनी आनयन
  • कालनेमि का वध
  • सूर्य देव को अपनी काँख में दबा लेना
  • भरत जी से भेंट और बाण लाना
  • गंधमादन पर्वत को पुनः यथास्थान रखना
  • निकुम्भला यज्ञ विध्वंस
  • रावण से युद्ध; अन्य राक्षसों का वध
  • अहिरावण प्रसंग और अहिरावण वध
  • श्रीराम के दुर्गा पूजन में सहायक बने
  • रावण के चंडी-पाठ में विघ्न डाला
  • चंडी महायज्ञ में श्लोक परिवर्तन
  • रावण के मृत्युबाण को मंदोदरी से ले आना
  • रावण वध के पश्चात्‌ जानकी जी को लाना
  • अयोध्या गमन में माता अंञ्जना से भेंट
  • भरत प्रणादातारम्‌ श्री हनुमान
  • मूल्यवान हार के मोतियों में श्री राम को ढूँढ़ना
  • हनुमान हृदय में ‘सीताराम’ झाँकी
  • सुनहु मातु मोहि अतिसय भूखा
  • बस राम नाम की भूख
  • हनुमान की चुटकी सेवा
  • श्री राम के अश्वमेघ यज्ञ में
  • चक्रांका नगरी के राजा सुबाहु पर कृपा
  • उग्रदृष्टं दैत्य का वध
  • आरण्यक मुनि के आश्रम में
  • देवपुर के राजा वीरमणि से युद्ध
  • साक्षात्‌ शंकर जी तथा उनके गणों से युद्ध
  • शत्रुघ्न जी के प्राणों की रक्षा
  • हेमकूट पर्वत पर शापित ब्राह्मण की मुक्ति
  • धर्मात्मा राजा सुरथ के भक्त बंधन में
  • रामात्मज लव कुश से युद्ध
  • श्री कृष्ण की बॉसुरी और हनुमान जी
  • श्री राम-हनुमान युद्ध
  • श्री राम हनुमान युद्ध (एक अन्य प्रसंग)
  • शनिदेव को पूँछ में लपेटकर दंड
  • हनुमान जी के पाँच भाई थे
  • महर्षि वाल्मीकि पर सुयश कृपा
  • द्वापर युग में हनुमान जी
  • सर्वश्रेष्ठ संगीतज्ञ हनुमान जी
  • भीमसेन को दर्शन
  • गरुड़ जी का गर्व हरण
  • गरुड़ जी को अहंकार मुक्त किया
  • ‘सुदर्शन चक्र’ के गर्व हरण का प्रसंग
  • सत्यभामा जी का अहं भी चूर हुआ
  • चक्र और गरुड़ के संदर्भ में एक अन्य प्रसंग
  • अर्जुन के अहंकार का चूर होना
  • ‘अर्जुन के रथ ‘कपिध्वज’ पर
  • पौण्ड्रक की कथा द्विविध वानर से युद्ध
  • बलराम जी से युद्ध
  • कलंक राक्षस का वध
  • प्रद्युम्न की रक्षा की
  • तुलसी दास जी पर कृपा
  • तुलसी को श्री कृष्ण के दर्शन
  • “मानस” लिखने में तुलसी की सहायता
  • समर्थ रामदास जी से मुलाकात
  • श्री कृष्ण जन्म की सूचना:-
  • द्रौपदी पर कृपा
  • धर्मारण्य (सीतापुर) के ब्राह्मणों पर कृपा

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