उपन्यास >> शरणम् शरणम्नरेन्द्र कोहली
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यह पुस्तक धरम का ग्रंथ नहीं है। ऐसा स्वंय लेखक का कहना है। यह गीता की टीका या भाष्य भी नहीं है। यह एक उपन्यास है, शुद्ध उपन्यास, जो गीता में चर्चित सिद्धांतों को उपन्यास के रूप में पाठक के सामने रखता है। यह उपन्यास लेखक के अन्दर उठने वाले प्रश्नों का नतीजा है। जिसमे सामाजिक मानदंड की एक सीमा तय की गयी है जो पाठक को आकर्षित करने में सक्षम है।
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