उपन्यास >> ब्रह्मपुत्र के तट पर ब्रह्मपुत्र के तट परतसलीमा नसरीन
|
0 5 पाठक हैं |
यह पुस्तक ब्रह्मपुत्र के तट पर रहने वाली दो स्त्रियों का जीवन-जीवन में उनके खाने-पीने की व्यथा-कथा है। स्त्रियाँ जो नदी की तरह ही बहती हुई चली जाती है, दूर-देशांतर अजनबी शहरों, नगरों में। एक छोटे से परिवार के घेरे में बंदी सुख-दुख झेलती और निरंतर अपने छोड़ आए शहर, नदी-तट, घर की स्मृतियों में डूबतीं-उतरती। कुछ हद तक इस आत्मकथात्मक उपन्यास में अपनी धरती से उखाड़ जाने की पीड़ा एक अमूर्त्त रूप से हर कहीं उपस्थित रहती है।
|