व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> NLP कल्पतरु NLP कल्पतरुडॉ. पवन शर्मा
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व्यावहारिक मार्गदर्शिका
मस्तिष्क के वैज्ञानिक सिद्धान्त
यदि मैं आपसे पूछूँ कि क्या आपके मस्तिष्क के व्यवहार आपके नियन्त्रण में हैं? शायद आपको इस प्रश्न का उत्तर देने में थोड़ी कशमकश हो, क्योंकि कभी कभी तो आप अपने चाहने के मुताबिक व्यवहार करते हैं, परन्तु अधिकांशत: ये व्यवहार स्वत: ही हो जाते हैं और आप बाद में ये सोचते है कि काश! उस वक़्त मैंने ऐसा व्यवहार न करके कुछ और किया होता। आपका मस्तिष्क ऑटो पायलट सिस्टम की तरह सारे निर्णय, व्यवहार, और प्रतिक्रियाएँ स्वयं कर लेता है और आपकी देह द्वारा बाहर व्यक्त होता है, या तो मौखिक रूप से, या आपकी शारीरिक भाषा के रूप में।
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमारा मस्तिष्क स्वत: ही निर्णय लेने में सक्षम है और ये निर्णय आपके द्वारा पहले से ही मस्तिष्क में संग्रहित विचार, छवि, और अनुभवों तथा यादों की छाप के आधार पर होते हैं। जिससे कई बार आपको कुंठा या शर्मिंदगी महसूस करनी पड़ती है। आप अपने द्वारा किए गए व्यवहार या प्रतिक्रिया से अचंभित भी होते है और रोमांचित भी, क्योंकि आप ये नहीं जानते कि आपका मस्तिष्क कैसे काम करता है। यदि हम ये जान लें कि कोई चीज कैसे काम करती है तो उसके साथ काम करना आसान हो जाता है और हमारा आत्मविश्वास बढ़ जाता है।
आइये, हम जानते हैं ब्रह्मांड की इस शक्तिशाली शक्ति के बारे में जिसे हम मनुष्य का मस्तिष्क कहते हैं :
• मानव मस्तिष्क काम करने के लिए 12 वोल्ट बल्ब जितनी ऊर्जा का प्रयोग करता है।
• मस्तिष्क हर घटना को 20 सेकेंड तक अपनी अस्थायी याद्दाश्त के अधिकार में रखता है। उसके बाद यदि वो घटना काम की है तो उसे स्थायी याददाश्त के रूप में रखता है और यदि काम की नहीं हुई तो उसे नष्ट कर देता है।
• हम रोजाना 400 बिलियन बिट्स सूचनाएँ एकत्रित करते हैं और इसका 0.5 प्रतिशत भी प्रयोग नहीं कर पाते हैं।
• हम एक समय में 4-7 सूचनाएँ लेते हैं, जिन्हें हम याद रखने का प्रयास करते हैं।
• मस्तिष्क के दो भाग चेतन और अवचेतन हैं, चेतन प्रतिक्रिया करने में 0.165 सेकेंड का समय लगता है और अवचेतन प्रतिक्रिया करने में 0.05 सेकेंड का समय लगता है। अवचेतन प्रतिक्रिया को स्वचालित प्रतिक्रिया भी कहते हैं।
• मस्तिष्क रोजाना कुल 10,000 छोटे बड़े निर्णय लेता है।
• मस्तिष्क 50 प्रतिशत सूचनाएँ देखकर (दृश्य के रूप में) लेता है।
• मस्तिष्क में लगभग 70,000 विचार प्रतिदिन आते हैं।
• मस्तिष्क हमारे शरीर का सबसे अधिक चर्बी युक्त अंग है, यह 60 प्रतिशत चर्बी रखता है।
• हमारे द्वारा ली गई साँस का 20 प्रतिशत भाग केवल मस्तिष्क आपने प्रयोग में लेता है।
• मानव मस्तिष्क प्रतिदिन जो सीखता है, उसका 15 प्रतिशत ही याद रखता है।
• मानव मस्तिष्क में 100,000 मील लम्बी खून की नसें है, जो कि पृथ्वी का चार बार चक्कर लगाने के लिए पर्याप्त हैं।
• मस्तिष्क में 100 बिलियन न्यूरोंस होते हैं, ये कोशिकाएँ 'ग्रे मैटर' के नाम से जानी जाती है। ये 100,000,000,000 सूचनाएँ संचारित करती है।
• सामान्यतः पुरुष मस्तिष्क का वजन 1360 ग्राम होता है।
• महिलाओं का मस्तिष्क पुरुषों की अपेक्षा 8 प्रतिशत छोटा होता है।
• वैज्ञानिकों ने प्रमाणित किया है कि मानव मस्तिष्क 5000 सालों की तुलना में 10 प्रतिशत सिकुड़ गया है, क्योंकि अब हम समाधान पाने के लिए अधिक मेहनत न करके अपने आसपास और आसानी से चाहते हैं व ढूंढते है।
• मस्तिष्क एक स्वत: संगठन प्रक्रिया (self organising system) है, यह हर घटना पर स्वत: प्रतिक्रिया करता है तथा आपके शब्दों व शारीरिक भाषा के द्वारा अपने एहसास और अभिव्यक्तियों को व्यक्त या प्रदर्शित करता है।
• मस्तिष्क का हिप्पोकैम्पस (hippocampus) भाग सूचनाएँ एकत्रित करता है तथा दूसरे भागों तक वितरित करता है।
• जब भी आप कुछ याद करने की कोशिश करते हैं, तो आप मस्तिष्क की रसायन प्रक्रिया को बदलते हैं।
• मस्तिष्क एहसास व भावनाओं के रिक्त स्थान की पूर्ति करने में सक्षम है।
• मस्तिष्क सत्य पर विश्वास नहीं करता, यह सिर्फ उस पर विश्वास करता है जिस पर यह विश्वास करना चाहता है।
• मस्तिष्क वास्तविकता और कल्पना पर एक जैसी प्रतिक्रिया देता है।
• मस्तिष्क 'कारण और परिणाम' (cause and effect) के सिद्धान्त पर काम करता है।
• हमारा मस्तिष्क एक समय पर एक ही बिन्दु पर ध्यान केन्द्रित कर सकता है, जिसे वह हमारे हित में सबसे महत्वपूर्ण मानता है।
• हमारा मस्तिष्क किसी भी समाधान को पाने के लिए शॉर्ट कट ढूंढता है।
• हमारा मस्तिष्क किसी दूसरे की क्रिया से प्रभावित हो कर वैसी ही प्रतिक्रिया करता है, जैसे दर्द या मुस्कराहट।
• 40 वर्ष की उम्र तक मानव मस्तिष्क में विकास होते रहते हैं।
• जब भी आप कुछ नया सीखते हैं, आपके मष्तिष्क की बनावट बदल जाती है।
• मस्तिष्क का आधा भाग केवल हाथों को नियंत्रित करने का काम करता है।
• मस्तिष्क की सारी रक्त वाहिनियों को बिछा दें तो 650 किलोमीटर तक फैल जाएँगी।
• वयस्क लोगों की यादें 15 से 25 सालों के बीच की होती है, मस्तिष्क का रेमिनिसेंस बंप (reminiscence bump) नाम का क्षेत्र, इस अवधि की 60 प्रतिशत यादें सम्भालता है।
• मस्तिष्क का 10 प्रतिशत भाग केवल चेतन (conscious) होता है और 90 प्रतिशत भाग अवचेतन (subconscious) होता है।
• मस्तिष्क की बनावट इतनी झुर्रीदार इसलिये होती है क्योंकि इससे अधिक न्यूरल संपर्क (neural connection) करने में आसानी होती है।
• मस्तिष्क एक सेकेंड में दो जवाब दे सकता है।
• किसी समस्या को सुलझाने पर हमारे मस्तिष्क में डोपामाइन केमिकल निकालता है, जो हमें सुख देता है।
• आपके शरीर की कुल शक्ति का 20 % हिस्सा मस्तिष्क इस्तेमाल करता है।
• पुरुष और महिला के दिमाग की बनावट अलग है, दोनो के दिमाग की कार्यप्रणाली अलग तरह से विकसित हुई है।
• महिलाएँ बेहतर मल्टी टास्कर होती हैं, और भावनात्मक काफी मजबूत होती है। वहीं पुरुष मस्तिष्क सहयोगीता और तर्क में निपुण होते हैं।
• तार्किक तौर पर और रोमांच व नयी चीजों को खोजने के लिए पुरुषों का मस्तिष्क ज्यादा बेहतर तरीके से प्रोग्राम है, वहीं महिलाओं का दिमाग धारणा, लोगों को पढ़ने की क्षमता में पुरुषों से कहीं बेहतर है।
• महिलाओं को नक्शा समझने में काफी उलझन होती है, जबकि पुरुष ये काम झटपट कर लेते हैं, निर्णय लेने, कल्पना करने और गहन ध्यान केन्द्रित करने में पुरुषों का मस्तिष्क महिलाओं से अधिक सक्रिय होता है।
• महिलाओं के अन्दर मजबूत भावात्मक जुड़ाव इस बात को पुख्ता करता है कि वे बच्चों से जुड़ सकें, वहीं पुरुषों में ये योग्यता काम होती है।
• तनाव से प्रभावित होने पर जहाँ पुरुष उससे या तो हताश जो कर हार मान लेते हैं, या खुद को अकेला रखकर समस्या से लड़ने की कोशिश करते हैं, वहीं महिलाओं मैं ऐसी परिस्थिति में सन्दर्भ लेने की आदत होती हैऔर वे इस स्थिति में अपने दोस्तों को अनुग्रह करके उनसे सलाह लेती है।
• फ्लू (flu) महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में ज्यादा होता है। इसकी वजह उनका गर्म दिमाग होना है। पुरुषों के दिमाग का तापमान महिलाओं के दिमाग की अपेक्षा ज्यादा जोता है। वहीं महिलाओं को मजाकिया पुरुष, गम्भीर पुरुष से ज्यादा पसन्द है। वे न केवल उनसे ज्यादा अच्छे से जुड़ पातीं है बल्कि उनकी कुशलता में बढोत्तरी होती है।
• पेचीदा मस्तिष्क मुद्रण (complex brain structure) की वजह से महिलाओं में माइग्रेन और ब्रेन स्ट्रोक की सम्भावनायें पुरुषों की अपेक्षा अधिक होती है।
• एक अध्ययन के अनुसार बायें हाथ वाले व्यक्तियों की याद्दाश्त ज्यादा अच्छी होती है।
आपका मस्तिष्क एक है, परन्तु इसके दो स्पष्ट और विशिष्ट कार्यकारी भाग हैं। आपके मस्तिष्क के ये दोनो हिस्से एक दूसरे से मूलतः अलग है। इन दोनो के अपने विशिष्ट गुण और शक्तियाँ हैं, जो एक दूसरे से अलग है।
मस्तिष्क के इन दोनो कार्यों में भेद करने के लिए कई नामों का प्रयोग किया जाता है, जैसे, वस्तुनिष्ठ (objective) या व्यक्तिनिष्ठ (subjective) मन, चेतन (conscious) और अवचेतन (unconscious) मन, जाग्रत और सुषुप्त मन, सतही और गहरा स्वरूप, स्वैच्छिक (voluntary) और अनैच्छिक (involuntary) मन, पुरुष और स्त्री मन, आदि। नाम चाहे जो भी दिया जाये, इससे मस्तिष्क के मिल द्वैत का पता चलता है।
चेतन और अवचेतन दो मस्तिष्क नहीं है। वो तो एक ही मस्तिष्क में होने वाली गतिविधियों के दो क्षेत्र हैं। आपका चेतन मन तार्किक (logical mind) है, यह मस्तिष्क का वह हिस्सा है जो विकल्प चुनता है। उदाहरण के लिए, आप अपनी पुस्तकें, अपना घर, अपनी नौकरी, अपना जीवनसाथी चुनते हैं। आप सारे निर्णय चेतन मन से करते हैं। दूसरी तरफ, आपके सचेतन चुनाव के बिना ही आपका हृदय अपने काम करता रहता है और पाचन तंत्र, रक्त संचार, तथा साँस लेने की अनिवार्य प्रक्रियाएँ चलती रहती है। ये सारे काम आपका अवचेतन मन करता है। इन प्रक्रियाओं के लिए चेतन नियन्त्रण की जरूरत नहीं होती है। आपका अवचेतन मन भाववाचक और चयन हीन है। यह हर उस चीज़ को सच मान लेता है, जिसे चेतन मन सच मानता है।
चेतन मन का सम्बन्ध बाहरी वस्तुओं से होता है और यह बाहरी दुनिया के प्रति जागरूक रहता है। इसके अवलोकन के साधन आपकी पाँच शारीरिक इन्द्रियाँ - देखना, सुनना, छूना, सूंघना, चखना है। आपका चेतन मन आपके परिवेश से संपर्क का मार्गदर्शक और निर्देशक है। आप अपनी पाँचों इन्द्रियों के जरिए ज्ञान हासिल करते हैं। आपका चेतन मन अवलोकन, अनुभव, और शिक्षा से सीखता है।
चेतन मन आपके शरीर, आपके परिवेश और आपसे जुड़े सभी मामलों का मालिक होता है। चेतन मन विश्वास तथा अनुमानों के आधर पर आदेश देता है और आपका अवचेतन मन उन आदेशों को मान लेता है। यह आदेशों पर सवाल नहीं उठाता या यह नहीं पूछता कि वे किस आधार पर दिए जा रहे हैं।
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