नई पुस्तकें >> अन्न कहाँ से आता है अन्न कहाँ से आता हैडॉ. सुषमा नैथानी
|
0 5 पाठक हैं |
मानव सभ्यता के अलग-अलग चरणों में कृषि का तत्कालीन समाज की राजनीति, अर्थव्यवस्था, तथा ज्ञान-विज्ञान से जो गहरा और अंतरगुम्फित संबंध रहा है, उस पर प्रचलित अकादमिक कवायद से इतर सार्वजनिक बातचीत की भी जरूरत है, ताकि हम अपने समय की कृषि-नीतियों, किसानों, बाजार और उपभोक्ता के अंतर्सबंधों की कोई संगत समझ बना सके, और फिर उसकी रोशनी में पर्यावरण के साथ तालमेल बिठाते हुए वैश्विक जलवायु परिवर्तन से उपजी खाद्यान्न संकट की चुनौती का हल ढूँढ़ सकें।
इस पुस्तक में कृषि की शुरुआत से लेकर जैव-प्रौद्योगिकी से बनी जी.एम. (जेनेटिकली मॉडिफायड या जीन संवर्धित) फसलों तक का विवरण है। बाजार से आटा, दाल, चावल, आलू, प्याज, फल-सब्जी, चाय, चीनी, कॉफी आदि उठाते समय हम सोचते रहते हैं कि अमुक चीज स्वास्थ्य पर कैसा असर डालेगी, उसमें पौष्टिक तत्वों की मात्रा कितनी है ? किसे विलास में और किसे उपवास में बरता जाना चाहिए, आदि। लेकिन बहुतों को इस बात का अंदाज नहीं होगा कि हम सबके खान-पान संबंधी संस्कार, पूर्वाग्रह, चुनाव या दुनिया की विभिन्न संस्कृतियों की खान-पान से जुड़ी विशिष्ट पहचान के मूल में कृषि की लंबी ऐतिहासिक यात्रा है।
|