यात्रा वृत्तांत >> आगरानामा आगरानामासतीश चंद्र चतुर्वेदी
|
0 5 पाठक हैं |
सतीश चंद्र चतुर्वेदी ने “आगरानामा” की रचना कर इतिहास में आगरा की भूमिका को उजागर किया है। कहने को तो आगरा के इतिहास का वर्णन हर जगह पढ़ने को मिल जाएगा, मगर ‘आगरानामा’ में मुगल काल यानी बाबर के आने से पहले का भी विवरण मिलेगा। सही मायने में यदि देखा जाए तो आज तक इतने विस्तार से आगरा शहर के महत्वपूर्ण इतिहास का शायद ही किसी लेखक ने अपनी कृति में वर्णन किया होगा। जितना कि सतीश चंद्र चतुर्वेदी ने किया है।
“आगरानामा” में आगरा से लगे छोटे-बड़े शहर, कस्बों व गाँवों तक का उल्लेख व उसका इतिहास सतीश चंद्र चतुर्वेदी ने बड़े ही शोध अध्ययन के साथ किया है। मुगल, हिंदुओं की मिली-जुली सभ्यता को दिखाने का काम लेखक ने बड़ी खूबसूरती के साथ किया है। उन्होंने “आगरानामा’’ से पहले भी आगरा के बारे में उसकी भौगोलिक, ऐतिहासिक, सामाजिक स्थितियों के बारे में लिखा है।
अनुक्रम
★ अभिमत
★ प्रागैतिहासिक आगरा
★ सिकंदर लोदी, इब्राहिम लोदी
★ बाबर, हुमायूँ और निजाम सक्का
★ शेरशाह, सलीमशाह, इब्राहिम सूर, मंसूर खाँ ‘सिकंदर’, हेमचंद्र विक्रमादित्य
★ अकबर और आगरा
★ जहाँगीर और आगरा
★ शाहजहाँ आगरा
★ औरंगजेब के बाद आगरा
★ जाट-काल
★ मराठा-काल
★ ईस्ट इंडिया कंपनी अधिकृत-आगरा
★ 1857 की क्रांति और आगरा
★ अंग्रेज-राज में आगरा
★ 1901 से 15 अगस्त 1947 तक आगरा
★ ऐतिहासिक उल्लेखों की सच्चाई बदल जाती है
★ शीरसैन जनपद : भदावर राज्य – आगरा जपनद
★ सहायक पुस्तकें
|