कला-संगीत >> काति महीने री चानणिए काति महीने री चानणिएसरला चम्बयाल
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"कुल्लू की संस्कृति के गीत, सदियों की सजीव धरोहर"
प्रस्तुत पुस्तक में लेखिका द्वारा कुल्लवी लोकगीतों को संग्रहीत किया गया है। लेखिका ने इस संग्रह में संग्रहीत पारंपरिक तथा स्वरचित लोकगीतों को अपनी आवाज दी है इस संग्रह में विभिन्न ऋतुओं तीज-त्योहारों, अशिक्षा, दहेज-प्रथा, भ्रूण-हत्या तथा जातीय भेदभाव आदि सामाजिक कुप्रथाओं पर केंद्रित लोकगीतों को शामिल किया गया है।
अनुक्रम
★ आभार
★ कल के लिए
★ प्राक्कथन
★ भूमिका
★ कुल्लवी गीत
★ स्वरलिपि
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