नई पुस्तकें >> सीढ़ी के डंडे सीढ़ी के डंडेशिवशंकर पिल्लै
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निर्ममता की सीढ़ियों पर चढ़ता एक ग्रामीण, जहां प्रेम की कमी ने उसे भ्रष्टाचार की खाई में धकेल दिया...
एक निरा ग्रामीण केशव पिल्लै बी.ए. की डिग्री लेकर सरकारी नौकरी में प्रवेश करता है और क्रमानुसार उन्नति करके सचिवालय में चीफ सेक्रेटरी बन जाता है। केशव पिल्लै उस वर्ग का प्रतिनिधि है जो ऊपर पहुँचकर निर्ममता के साथ ऊपर पहुँचाने वाले को ही धक्का देकर नीचे गिरा देता है। ‘सीढ़ी के डंडे’ केशव पिल्ले की कहानी होने पर भी उससे संबंधित दो स्त्रियों की कहानी है। एक स्वरूप उसकी पली क्षमा-मूर्ति तथा संयमशील ग्रामीण नारी-कार्त्ययनी का है और दूसरा रूप है, उसकी प्रेमिका तंकम्मा का, जो अतृप्त कामवासना तथा अनंत मोह से ग्रस्त है। केशव पिल्लै को निर्दय उदासीनता ने उसको भ्रष्ट मार्गी बना दिया है। निष्काम प्रेम उसे कभी नहीं मिला। इसलिए उसके मन की कामवासना फूटकर वह निकली है और जिसका अंत होता है एक स्वाभाविक त्रासदी में।
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