नई पुस्तकें >> मौन होंठ मुखर हृदय मौन होंठ मुखर हृदयदिनकर कुमार
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"अरुणाचल प्रदेश की दुर्गम वादियों में पनपी एक करुण प्रेम गाथा और जन-जीवन की सजीव झलक।"
अरुणाचल प्रदेश की पृष्ठभूमि पर लिखा गया उपन्यास है। अरुणाचल प्रदेश के दुर्गम पर्वतों और जंगलों के बीच जिस समय सड़क निर्माण का श्रमसाध्य कार्य किया गया था, उस समय का वर्णन इस उपन्यास में किया गया है। सड़क निर्माण कार्य वहाँ के विभिन्न जनजातियों के श्रमिकों से कराया गया था। उपन्यासकार ने इस उपन्यास में दो भिन्न जातियों के सहज-सरल किरदारों के प्रेम-संबंध को चित्रित किया हैं। अलग-अलग जाति के होने के कारण रिनसिन और यामा का मिलन संभव नहीं हो पाता है। उपन्यासकार ने इनकी करुण प्रेम गाथा के साथ अरुणाचल प्रदेश के लोगों के जन-जीवन का वास्तविक चित्र पाठकों के समक्ष उकेरा है। उन्होंने वहाँ के लोगों के जीवन की आशाओं और आकांक्षाओं को वाणी दी है। अपने कुशल चरित्र-चित्रण, परिवेश के जीवंत रेखांकन और सामाजिक सरोकारों से संलग्नता के कारण यह यह असमिया साहित्य की एक महत्वपूर्ण कृति है।
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