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भैरव तंत्र रहस्य और भीषण भैरव शाबर

योगीराज यशपाल जी

प्रकाशक : रणधीर प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :256
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 17117
आईएसबीएन :9788184065081

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"भैरव: भय से मुक्ति और तिमिर का नाश, सिद्धि की ओर एक दिव्य यात्रा।"

भैरव शिव का एक भयंकर स्थरूप है। भैरव का शाब्दिक अर्थ है भयानक। किन्तु एक सूक्ष्म अर्थ में भैरव – भय-रब अर्थात भय से रक्षा करने वाला देव। महाभैरव वास्तव में मृत्युभय के देवता का बाह्य स्वरूप है।

काल की भाँति शोभित होने के कारण यह साक्षात ‘कालराज’ है। भीषण होने के कारण ‘भैरव’ है। इनसे काल भी भयभीत होता है अतः यह ‘कालभैरव’ हैं। दुष्ट आत्माओं का मर्दन करने के कारण इन्हें ‘आमर्दक’ भी कहा गया है।

भैरव वास्तव में तमस (अंधकार) के देव हैं। इनकी साधना से साधक अपने अज्ञात रूपी तिमिर का नाश करके भैरव कृपा एवं सिद्धि रूपी प्रकाश को प्राप्त कर सकता है।

पुस्तक के भीतर समाहित उल्लेखनीय विषय इस प्रकार हैं –

  • भैरव तत्व विवेचन
  • भैरव मन्त्र रहस्य
  • भैरव तन्त्र साधना
  • बटुक भैरव साधना
  • काल भैरव साधना
  • भीषण भैरव शाबर
  • स्वर्णांकर्षण भैरव साधना
  • क्रोध भैरव साधना
  • शरभेश्वर भैरव साधना
  • उन्मत्त भैरव साधना
  • बावन बीर साधना
  • हनुमान जंजीरा

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