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गोरख वाणी और गोरख योग

योगीराज यशपाल जी

प्रकाशक : रणधीर प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 17146
आईएसबीएन :0

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"गुरु गोरखनाथ की ज्ञानवाणी : साधकों के लिए मार्गदर्शक, साधारण जनता के लिए दिव्य ज्ञान।"

गुरु गोरखनाथ जी की परम्परा में अनेकानेक ग्रन्थों का निर्माण हुआ है जो उनकी महानता का अवलोकन करवाते हैं। नवनाथों के चरित्र, गुरु श्री गोरखनाथ का चरित्रदर्शन, नाथ सम्प्रदाय की परिपाटी में किए जाने वाले कर्मकाण्ड, स्तुति, चालीसा इत्यादि और गोरख मन्त्र-तन्त्र विषयक कुछ पुस्तकें बाजारों में मिल जाया करती हैं। मुझे यह सब साहित्य देखकर अपने मन में विचार आया कि इन सबसे तो गुरु गोरखनाथ जी कितने अगम्य ज्ञानी, अष्टांग योग पारंगत, परमतत्त्व के ज्ञाता, कुण्डलिनी साधक, ब्रह्मपदप्राप्त व कैवल्यानुभूति युक्त थे, ये ज्ञान नहीं मिलता।

गुरु गोरखनाथजी की ज्ञान विषयक वाणी जो मनुष्य मात्र के लिए महान्‌ उपयोगी हो, साधक के लिए ज्ञान गंगा हो, अवधूत के लिए सन्मार्गदायिनी हो; जिसे किसी भी धर्म अथवा सम्प्रदाय का व्यक्ति पढ़े तो गोरख-मार्ग पर चलने की प्रेरणा पा सके; कोई ऐसा ग्रन्थ उपलब्ध होना चाहिए। इसी विचार से कुछ प्रमाणिक ग्रन्थों में से यह वाणियाँ लेकर उनके सरल अर्थ करके आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ। इस ज्ञान से साधारण जनता लाभान्वित हो सकेगी, अतः यह ग्रन्थ मैं आपको सर्वश्री रणधीर प्रकाशन हरिद्वार के माध्यम से आपको समर्पित करता हूँ।

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