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मन्त्र रहस्य

योगीराज यशपाल जी

प्रकाशक : रणधीर प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :424
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 17149
आईएसबीएन :0

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"प्राचीन ज्ञान की पुनरावृत्ति : मन्त्रों के रहस्यों की यात्रा"

समय का प्रवाह चलता रहा है और कालान्तर से हमारी परम्पराएँ अवरुद्ध हुई पड़ी हैं। भारतीय संस्कृति और इसकी गुह्म विद्याओं पर आधुनिक चकाचौंध की परत चढ़ चुकी है। इक्कीसवीं सदी के प्रवेश वर्ष पर हमें अपना सारा साहस समेटकर तृष्णा और वासना के कीचड़ से बाहर निकलना होगा। यह केवल वाचालता और विडम्बना से नहीं अपितु हमें अपने अनुसन्धानों से मन्त्रों के एवं इसकी अन्य सभी विधाओं की नवीनतम खोजों से, नई पीढ़ी को परिचित कराके इसके गौरव को पुनः स्थापित करना है। अपनी कृतियों से इनकी उत्कृष्टता का प्रमाण देना होगा। हमारा उदाहरण ही दूसरे अनेक लोगों को अनुकरण का साहस प्रदान करेगा। वाणी और लेखनी के माध्यम से लोगों को किसी भी बात की जानकारी कराई जाती है। दूसरों को यदि कुछ बताना हो, सिखाना हो तो एकमात्र सबसे अच्छा तरीका अपना उदाहरण है। यही ठोस वास्तविक और प्रभावशाली पद्धति भी है। इसी बात को आधार मानकर मैंने अपनी ५० वर्षों के अध्ययन और व्यवहारिक ज्ञान की पूँजी यह ‘‘मन्त्र रहस्य’’ प्रस्तुत की है।

आशा है यह साधकों के लिए उपयोगी और नई पीढ़ी के लिए इस ओर आगे बढ़ने का स्रोत बनेगी जिससे अवरोध समाप्त हो सकेगा।

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