नई पुस्तकें >> दस प्रतिनिधि कहानियाँ : नासिरा शर्मा दस प्रतिनिधि कहानियाँ : नासिरा शर्मानासिरा शर्मा
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"मानवीय भावनाओं और सांस्कृतिक जटिलताओं को कुशलता से उकेरती रचनाएँ।"
अपनी कहानियों में इंसानी पीड़ाओं के अहसास को जीवंत अभिव्यक्ति प्रदान करने वाली लेखिका नासिरा शर्मा जीवन के विविध कार्य एवं अनुभव-क्षेत्रों से विषय अर्जित करके, रचाव की संपूर्ण प्रयोग निपुणता के साथ रचना प्रस्तुत करती हैं। कथा-संसार की यह विविधता जहाँ उनके पाठकों के लिए उपहार-सम है यहीं आलोचकों-समीक्षकों के लिए एक चुनौती भी-कि ऐसे में उन्हें किस कद-पद का कहानीकार मान्य किया जाए ? विगत छवि की निर्मिति-भंजन का काम वे स्वयं अपनी प्रत्येक नई रचना में करती प्रतीत होती हैं तथा इस प्रकार पाठक की ताजा आश्वस्ति भी पाती हैं ।
इन कहानियों में नासिरा शर्मा इंसानी देह-नेह की आदिम इच्छाओं की विचारणाओं के साथा-साथ राष्ट्र, इतिहास, धर्म और प्रकृति की अभिव्यक्ति के पर्यावरण से भी संबोधित हैं। जन की कथाओं की व्यापक परिधि पर जड़ित ये कहानियाँ संपूर्ण मानवीय प्रवृति की संस्कृति और उसकी रसभंगता को पाठकों के सामने रखती हैं। नवरसों को समान कूतित्व देती ये कहानियाँ कालांतर में हमारे मनो-मस्तिष्क से उड़ नहीं जाती, बल्कि यहीं अपनी स्मृति का स्थान निर्धारित कर लेती है।
नासिरा शर्मा द्वारा स्वयं चुनी गई ‘दस प्रतिनिधि कहानियाँ’ हैं -
- जोड़ा
- बावली
- कशीदाकारी
- पाँचवाँ बेटा
- दूसरा ताजमहल
- आमोख़्ता
- तीसरा मोर्चा
- मिस्टर ब्राउनी
- अपनी कोख
- चार बहनें शीशमहल की।
हमें विश्वास है कि इस सीरीज़ के माध्यम से पाठक सुविख्यात लेखिका नासिरा शर्मा की प्रतिनिधि कहानियों को एक ही जिल्द में पाकर सुखद संतोष का अनुभव करेंगे।
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