नई पुस्तकें >> चित्रा मुद्गल - संचयन चित्रा मुद्गल - संचयनकरुणाशंकर उपाध्याय
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"चित्रा मुद्गल : शब्दों से समाज तक, एक सशक्त साहित्यिक यात्रा।"
विश्वभर में सुपरिचित चित्रा मुद्गल उन विरल रचनाकारों में से हैं, जिन्होंने दो शताब्दियों के मध्य विचार–सेतु की भूमिका निभाते हुए साहित्य के नए मानदंड स्थापित किए हैं। गद्य की अनेक विधाओं में अपनी रचनायात्रा से नई समृद्धि लाने वाली इस रचनाकार के शब्द और व्यवहार की दुनिया में कोई अंतर नहीं। वह जीवन जितनी ही रचना में भी एक निरंतर सक्रिय सोशल एक्टिविस्ट हैं। कहानी, उपन्यास, लघुकथा, यात्रा, रिपोर्ताज, संस्मरण, कविता, चिन्तन और एक समाजवेत्ता की चिरन्तन शब्दयात्रा की विशिष्ट पहचान बनकर समादृत व सम्मानित होने वाली चित्राजी का रचना–संसार विराट हैं । उन्होंने जिस गम्भीरता से वयस्कों के लिए रचनाओं की एक आकर्षक दुनिया खड़ी की है, उसी संलग्नता से बाल पाठकों के लिए भी रचना की है।
करुणाशंकर उपाध्याय सरीखे गम्भीर और परिश्रमी आलोचक ने चित्रा मुद्गल संचयन का सम्पादन सुदीर्घ अध्ययन के उपरान्त किया है। यह संचयन चित्राजी के विराट रचना जगत से नये पाठकों को जोड़ने का एक सहज माध्यम तो बनेगा ही, शोधार्थियों, अध्यापकों, साहित्यरसिकों और अनुवादकों को भी आकर्षित करेगा। सही अर्थों में यह महज एक संचयन नहीं, भविष्य के लिए एक बहुमूल्य रचनात्मक धरोहर है।
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