नई पुस्तकें >> चालीस के पार चालीस के पारमीनू यतिन
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101 हृदयस्पर्शी कवििताएँ
कविताओं के इस विचारोत्तेजक संग्रह में, मीनू जी ने कुशलता से भावनाओं, विचारों और अनुभवों का ताना-बाना बुना है, जो मानवीय स्थिति से गहराई से मेल खाते हैं। जीवन की विविधताओं को शब्दों में पिरोने का एक अनोखा प्रयास है यह कविता संग्रह। इसमें खुशियों और गमों के रंग, आशाओं और निराशाओं के साये, प्यार और मोहब्बत के एहसास, जीवन की खूबसूरती और उसकी कठिनाइयों का वर्णन है। कविताओं के माध्यम से लेखक ने जीवन के विभिन्न पहलुओं को छुआ है, जो पाठकों को अपने जीवन के अनुभवों से जोड़ता है। यह कविता संग्रह पाठकों को जीवन की गहराइयों में ले जाता है, जहाँ वे अपने एहसासों को पहचान सकते हैं और जीवन की सच्चाई को महसूस कर सकते हैं।
इस संग्रह की कविताएँ आपको उदास चाँद और खामोश रात के साथ जोड़ेंगी। यहाँ आपको जिन्दगी की खूबसूरती के साथ-साथ उसकी कमियों का भी एहसास होगा। आप महसूस करेंगे कि जीवन खूबसूरत है, लेकिन इसके साथ ही यहाँ अनकहे-अनसुने दर्द भी हैं। इस कविता संग्रह में तुम मेरे लिए, मैं तुममें बाकी रहूँगी, और वादा जैसी कविताओं को पढ़कर हम जीवन की विविधताओं को महसूस कर पाएँगे और उनसे जुड़े अपने महीन एहसासों को पहचान पाएँगे।
अदम्य ईमानदारी और भेद्यता के साथ, कवि प्यार, हानि, आशा और आत्म-खोज की जटिलताओं को उजागर करता है, और एक ऐसा काम तैयार करता है जो गहराई से व्यक्तिगत और सार्वभौमिक रूप से संबंधित है।
इस संग्रह की एक विशिष्ट विशेषता इसकी गीतात्मक भाषा है, जो सुलभ और गहन दोनों है। कवि द्वारा रूपक, कल्पना और प्रतीकवाद का उपयोग कविताओं में गहराई और परतें जोड़ता है, जो पाठक को उन्हें कई बार दोबारा देखने और पुनर्व्याख्या करने के लिए आमंत्रित करता है।
कुल मिलाकर, चालीस के पार यह एक ऐसी प्रस्तुति है जो आपको देखने, सुनने और समझने का एहसास कराएगी। यह एक ऐसी किताब है, जो आपको अपनी भावनाओं और पूर्वाग्रहों का सामना करने की चुनौती देगी और पढ़ने के बाद भी लंबे समय तक आपके दिमाग में बनी रहेगी।
दिनेश कुमार सिंह
9 सितंबर, 2024
नवी मुंबई, भारत
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