नई पुस्तकें >> आदिशंकरम् आदिशंकरम्के.सी. अजय कुमार
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"आदि शंकराचार्य : मिथकों से परे एक असाधारण व्यक्तित्व की यात्रा"
जगद्गुरु आदि शंकराचार्य को भारतीय आध्यात्मिक दर्शन के प्रस्थान बिंदु के रूप में देखा-समझा जा सकता है। केरल राज्य के कालटी नामक ग्राम से आत्मज्ञान की खोज में निकले बालक शंकर ने गुरु गोविंद पाद का शिष्यत्व ग्रहण किया था और अपने से आयु और अनुभव में काफी बड़े विद्वान मंडन मिश्र को शास्त्रार्थ में पराजित किया था। अपने कैशोर्य में ही ‘विवेकचूड़ामणि’ नामक ग्रंथ की रचना करने वाले वेदांत दर्शन के ऐसे ही महान प्रचारक, जो अद्वैताचार्य भी कहलाते हैं, के जीवन और कर्म को किसी अलौकिक, अविश्वसनीय तथा चमत्कारिक घटनाओं की छाया से मुक्त कर उनके जीवन को एक सामान्य, किंतु असाधारण व्यक्तित्व वाले मनुष्य के रूप में उपन्यास-रूप में प्रस्तुत करने का यहाँ एक प्रयास है। इसमें शंकर से संबंधित केवल ख्याति प्राप्त मिथकों को ही स्थान दिया गया है। प्रस्तुत कृति की रचना के क्रम में स्वाभाविक ही भारतीय अद्वैत और आध्यात्मिक दर्शन की प्रभूत चर्चा हुई है जिससे पुस्तक की पठनीयता और बढ़ गई है।
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