नई पुस्तकें >> लोकगीतों और गीतों में 1857 लोकगीतों और गीतों में 1857मैनेजर पाण्डेय
|
0 5 पाठक हैं |
"1857 के स्वरों की गूंज : लोकगीतों में स्वतंत्रता का संघर्ष"
लोकगीतों और गीतों में 1857 पुस्तक में संगृहीत लोकगीतों में अभिव्यक्त 1857 के संग्राम की स्मृतियों के माध्यम से भारतीय जनता के साम्राज्यवाद विरोधी संघर्ष की उदात्तता को याद करते हुए उसे आज के साम्राज्यवाद विरोधी संघर्ष के प्रेरणास्रोत के रूप में ग्रहण किया जा सकता है। लोकजीवन में प्रचलित छंदों और राग-रागनियों में रचे गए भोजपुरी, बुंदेली, अवधी, ब्रज, छत्तीसगढ़ी, मालवी, गोंडी, हरियाणवी, कौरवी, खड़ीबोली, राजस्थानी और उर्दू भाषा के लोकगीत और गीत इस पुस्तक में संकलित हैं।
|