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उपन्यास >> राजनटनी

राजनटनी

गीताश्री

प्रकाशक : राजपाल एंड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 17300
आईएसबीएन :9789389373448

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"प्रेम की नटनी, पराक्रम की रानी — मीनाक्षी, मिथिला की अमर गाथा।"

‘‘मैं इस उपन्यास को एक बार में ही पढ़ गया। पढ़ते समय लगा कि पढ़ नहीं, देख रहा हूँ। मैं कह सकता हूँ कि मैंने मीनाक्षी और बल्लाल को साकार देखा है। गीताश्री एक ऐसी कथाकार हैं जिन्होंने लोक को साध लिया है – लोक की भाषा, जीवन, लोग, संस्कृति, समाज, गाँव सब उनकी कहानियों में जैसे साँस लेने लगते हैं। लोक की इस समझ के बिना मीनाक्षी की यह कथा कह पाना असम्भव था। पूरी ज़िम्मेदारी से कह सकता हूँ कि लेखिका ने मीनाक्षी के पात्र को मिथिला के लोक से उठाकर सारे विश्व का बना दिया है – उसको अमर कर दिया है।’’

– पंकज सुबीर, सुपरिचित कथाकार और आलोचक

राजनटनी मीनाक्षी और बंग राजकुमार बल्लालसेन की प्रणय-गाथा के साथ ही साथ देश के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देने वाली मीनाक्षी की वीरगाथा भी है। एक नटनी जो अपने अद्भुत कला-कौशल और सौंदर्य से राजनटनी बनती है, समय आने पर अपनी सूझ-बूझ और वीरता का परिचय देते हुए मिथिला और उसके साहित्य को बचा लेती है।

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