कविता संग्रह >> मेरा किस्सा मेरा किस्साममता आत्रेय
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कविता वही जो दिल से उठे और दिल तक पहुँचे।
इस विधा की तकनीकी बारीकियों को मैं आज भी पूरी तरह नहीं समझ पाई हूँ। मुझे लगता है जो हृदय से हिलोर सी उठ सामने के हृदय पर जा दस्तक दे, वही कविता है। शब्दों का सटीक संगम ही इसका प्राण है, परंतु इस संगम को मैं किसी ऐच्छिक क्रिया का हिस्सा नहीं मानती। हाँ, यदा-कदा कुछ शब्द आपको किसी कारणवश बदलने पड़ सकते हैं, परंतु प्रवाह तो स्वतः जन्में शब्दों से ही उत्पन्न होता है। इसी प्रवाह में अपने अनुभव को पिरोकर इस पुस्तक के माध्यम से सामने रख रही हूँ। मैं यह स्वीकार करती हूँ कि कविता की मेरी परिभाषा, व्यक्तियों या समाज को देखने का मेरा दृष्टिकोण, आपबीती या आँखों देखी बताने का मेरा तरीका सीमित, व्यक्तिगत या अपूर्ण प्रतीत हो सकता है और हो सकता है ऐसा हो ही। यहाँ मुझे केवल यही कहना है कि मैंने वही अभिव्यक्त करने का प्रयास किया है जो जैसा भी मैंने देखा और समझा है।
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