आलोचना >> आईनाखाना आईनाखानागौरीशंकर रैणा
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कश्मीरी साहित्य की आत्मा से साक्षात्कार करता आलोचनात्मक संकलन।
कश्मीरी भाषा के साहित्य की विभिन्न विधाओं पर लिखे गए आलोचनात्मक निबंधों का संकलन है। कश्मीरी साहित्य की रचनात्मक चेतना में सार्वभौमिक विचार के साथ-साथ जो महत्त्वपूर्ण संकल्पनाएँ मिश्रित हैं उनमें संस्कृति, समाज, आध्यात्मिकता, इतिहास तथा ज़मीन की सुखद गंध शामिल है। संकलन में जहाँ ‘कश्मीरी आलोचना की संक्षिप्त समीक्षा’ पर एक महत्त्वपूर्ण लेख है, वहीं ललद्यद (लल्लेश्वरी) और शेख-उल-आलम (शेख़ नूर-उद्दीन) का तुलनात्मक विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। अन्य विषयों के अंतर्गत समकालीन कश्मीरी कविता, नातिया शायरी, नई पीढ़ी के लेखकों, सूफी कवियों, कश्मीरी साहित्य के स्वर्णिम युग तथा बीसवीं सदी के लोकप्रिय लेखकों के बारे में अनुपेक्षणीय तथ्य समन्वित हैं। नए मुद्दों पर चर्चा हुई है और कुछ ऐसे साहित्यकारों पर भी लिखा गया है, जिनकी रचनाओं का अच्छे से मूल्यांकन नहीं हुआ है या जिनके बारे में कुछ भी नहीं लिखा गया है। यह संकलन आलोचना के कुछ महत्त्वपूर्ण सिद्धांतों की ओर संकेत करता है तथा कश्मीरी साहित्य के साथ आत्मसात कराने के साथ ही हिंदी पाठकों के लिए नई जानकारी उपलब्ध कराता है।
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