कविता संग्रह >> ममता ममताडॉ. ओम प्रकाश विश्वकर्मा
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डा. ओम प्रकाश विश्वकर्मा की कविताएँ
जहाँ तक ममता का नाम आता है, माँ और बच्चे का दुलार ही ममता को परिभाषित करता है। माँ जन्म से लेकर अपने जीवन भर, अपने बच्चों के लिये समर्पित रहती है।
पूस की रात में भी बच्चा पेशाब कर देता है बिस्तर गीला हो जाता है। माँ गीले बिस्तर पर सो जाती है सूखे में बच्चे को लिटाती है यह माँ की ममता है।
इसी तरह हर नागरिक का कर्तव्य है कि जिस धरती में हमने जन्म लिया, जहाँ का हमने अन्न खाया, जहाँ के हमने वस्त्र पहने हैं, जहाँ की रज कण में हम बड़े हुये, उसके प्रति अपना कर्तव्य निभाना न भूलें।
मैने इस पुस्तक में देश-प्रेम, समाज के प्रति कर्तव्य, आपसी भेद-भाव को दूर करने का प्रयास किया है।
आशा है कि यह पुस्तक पाठकों को सच्चा मार्ग दिखाने में सहयोग करेगी। ऐसा मेरा विश्वास है।
- डा. ओम प्रकाश विश्वकर्मा
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