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चिन्मय मिशन साहित्य >> श्रीमदभगवद्गीता अध्याय-18

श्रीमदभगवद्गीता अध्याय-18

स्वामी चिन्मयानंद

प्रकाशक : सेन्ट्रल चिन्मय मिशन ट्रस्ट प्रकाशित वर्ष : 2001
पृष्ठ :95
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 1847
आईएसबीएन :00000

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प्रस्तुत है श्रीमद्भगवद्गीता का अठारहवाँ अध्याय..

अठारहवें अध्याय में गीता का सिंहावलोकन किया गया है। यह पहले सिद्ध हो चुका है कि सर्वत्र एक ही सच्चित्स्वरूप परमात्मा प्रकृति में प्रकट होकर स्वयं ही इस नानाविध सृष्टि का रूप धारण करता है।

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