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चाणक्य - राजनीति एवं अर्थ व्यवस्था के प्रसिद्ध गुरु (लगभग 300 ई पू.)
चाणक्य के मतानुसार शासक के लिए राज्याभिषेक के समय जनता की सेवा करने की शपथ लेना आवश्यक था। दुराचारी शासक को सिंहासन से हटा कर उसकी जगह दूसरा शासक बैठाने का अधिकार जनता को था। इस कथा के नायक, चाणक्य ने जिसे कौटिल्य भी कहते हैं, संस्कृत के प्रसिद्ध प्राचीन ग्रन्थ, अर्थशास्त्र की रचना की थी।
अर्थशास्त्र सार्वजनिक प्रशासन की रचना है। इसमें शासकों, मंत्रियों व अन्य अधिकारियों के कर्तव्यों तथा अधिकारों का विश्लेषण किया गया है। राजकाज की विभिन्न बातों, व्यापार व वाणिज्य, विधि-विधान, युद्ध तथा शान्ति, कूटनीति, विवाह व तलाक एवं रणनीति का इसमें ब्यौरेवार उल्लेख किया गया है। "अर्थशास्त्र" आज की राजनीतिक कूटनीति की श्रेष्ठ रचना मानी जाती है।
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