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पंचतंत्र- सियार की कथाएँ और ढोल

अनन्त पई

प्रकाशक : इंडिया बुक हाउस प्रकाशित वर्ष : 2004
पृष्ठ :32
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 1882
आईएसबीएन :1234567890123

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पंचतंत्र- सियार की कथाएँ और ढोल

पंचतंत्र वास्तव में भारतीय नीति-शास्त्र की रचना है। इसमें अनेक प्रकार की शिक्षाएं निहित हैं- जैसे, लोगों को कैसे समझना, सच्चे और विश्वसनीय मित्रों को कैसे पहचानना, चतुराई एवं बुद्धिमानी से कठिनाइयों का कैसे सामना करना और समस्याओं को कैसे सुलझाना, एवं धोखाधड़ी तथा बनावट आदि को झेलते हुए भी शांति एवं मेल-जोल से कैसे जीवन बिताना।

पंचतंत्र की मूल कथा एक राजा और उसके तीन मूर्ख पुत्रों की है। राजा ने तीनों पुत्रों की बुद्धि का छ: महीनों में विकास करने का दायित्त्व पण्डित विष्णु शर्मा को सौपा। पं. विष्णु शर्मा तीनों राजकुमारों को अपने आश्रम में ले गये। वहाँ उन्होंने लोगों के साथ आचरण करने के पाँच तन्त्रों की अपनी कथाएँ उन्हें सुनायीं।

पंचतंत्र अनुपम कृति है। ऐसी कोई अन्य रचना नहीं जिसमें दर्शन, राजनीति, संगीत, खगोल, मानस आदि विभिन्न शास्त्रों के सम्बन्ध में ऐसी सहजता व सुन्दरता से विचार किया गया हो। राजकुमारों को अधिक से अधिक विषयों का ज्ञान कराना ही पं. विष्णु शर्मा का उद्देश्य था। परन्तु राजकुमार ही नहीं और करोड़ों लोग भी २२०० वर्षों से इस रचना को पढ़ कर सुनकर लाभान्वित हो रहे हैं।

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