लोगों की राय

अमर चित्र कथा हिन्दी >> विक्रमादित्य का सिंहासन

विक्रमादित्य का सिंहासन

अनन्त पई

प्रकाशक : इंडिया बुक हाउस प्रकाशित वर्ष : 2004
पृष्ठ :31
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 1893
आईएसबीएन :1234567890123

Like this Hindi book 0

विक्रमादित्य का सिंहासन - सुंदर चित्रों में विक्रमादित्य की प्रसिद्ध कहानी

विक्रमादित्य का सिंहासन बहुत विलक्षण था। सैकड़ों वर्ष बाद यह राजा भोज को मिला। इसमें 32 अप्सराओं की मूर्तियाँ थीं। वास्तव में वे सच्ची अप्सराएँ थीं जो एक शाप के कारण पत्थर की हो गयी थीं। उन सबने अपनी जीवन-कथा और विक्रमादित्य की गाथाएँ राजा भोज को सुनायीं और फिर से अपना वास्तविक रूप पा गयीं।

सिंहासन बत्तीसी (32 अप्सराओं की कथाएँ) और वेताल ने विक्रमादित्य को जो 25 कहानियाँ सुनायी थीं वे सब संस्कृत के विक्रमचरित में सम्मिलित हैं। विक्रमचरित की रचना 11वीं और 13वीं शताब्दी के बीच की गयी थी। इसकी कथाएँ हमारे देश की विभिन्न भाषाओं में और अनेक बार दोहरायी गयी हैं जिससे उनमें कई मन-घड़ंत बातें जुड़ गयी हैं। इसी कारण देश के भिन्न-भिन्न भागों में एक ही कथा के विभिन्न संस्करण मिलते हैं।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai