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पौरव और सिकंदर

अनन्त पई

प्रकाशक : इंडिया बुक हाउस प्रकाशित वर्ष : 2004
पृष्ठ :32
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 1912
आईएसबीएन :1234567890123

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पौरव और सिकंदर - इन दोनों के आपसी टकराव और सुलह की कहानी सुंदर चित्रों में

मैसीडोनिया के महान योद्धा, सिकंदर ने ईसा- पूर्व 327 में भारत पर आक्रमण किया था। उत्तर पश्चिमी भारत में तब अनेक राज्य थे। किंतु विदेशी शत्रु से लोहा लेने के लिये भी वे एक नहीं हुए। आम्भि जैसे कुछ राजा बिना लड़े ही शत्रु से जा मिले तथा पौरव एवं मसागा के शासक जैसे कुछ राजाओं ने पराजय का डर होते हुए भी सिकंदर से लोहा लिया।

पौरव शक्ति में सिकंदर के जोड़ के थे तथापि विजय सिकंदर की ही हुई। युद्ध से पहली रात जो जोरदार बरसात हुई उससे सिकंदर को बड़ी मदद मिली क्योंकि धरती फिसलन भरी हो जाने के कारण पौरव के जाने-माने धनुर्धारी अपने धनुष उस पर ठीक तरह टिका नहीं पाते थे।

उन्नीस यूनानी लेखकों ने भारत पर सिकंदर के आक्रमण का हाल लिखा है। इनमें से कुछ सिकंदर के साथ भारत आये थे और कुछ थोड़े समय के बाद। इन विवरणों के आधार पर एरियन (ईसा-पश्चात् पहली शताब्दी) ने सिकंदर की जीवनी लिखी। कर्टिअस, डिओडोरस, प्लूटार्क और जस्टिन ने बाद में सिकंदर की चढ़ाइयों का वर्णन किया। परंतु किसी भारतीय का लिखा हुआ विवरण कहीं नहीं मिलता। इसलिए यह सही-सही बताना बहुत कठिन है कि सिकंदर भारत में कहाँ-कहाँ गया और किन-किन कबीलों से उसकी मुठभेड़ हुई।

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