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उलूपी - महाभारत के वीर अर्जुन की विशेष पत्नी उलूपी की कथा
उलूपी नागों के राजा कौरव्य की पुत्री थी। नागों की जाति बहुत प्राचीन है। पुराणों और महाभारत में उनका अनेक बार उल्लेख आया है। ऐसी मान्यता है कि उनके मानयों जैसा मुख और साँपों जैसी पूँछ होती थी।
प्राचीन गाथाओं के अनुसार, भारत के सात भाग थे और उनमें एक था नागद्वीप। मथुरा, पद्मावती तथा पूर्वी भारत में नागों के राज्य थे। सम्भवतया नागों की भी असुरों, दैत्यों और दानवों के समान अपनी अलग संस्कृति थी और उन्होंने आर्य संस्कृति के प्रसार का घोर विरोध किया था। प्रचलित धारणा यह है कि नागों के उपासक होने के कारण इन लोगों को नागों की संज्ञा दी गयी।
प्रतीत होता है कि आर्यों के आगमन के समय भारत में जो जातियों थीं उनमें नागों की सभ्यता व संस्कृति काफ़ी उन्नत थी। नाग राजकुमारियों के साथ आर्य राजकुमारों के विवाह के अनेक विवरण मिलते हैं। अर्जुन जिस समय बनवास में थे तब उलूपी से उनकी भेंट हुई थी। अपने सौतेले पुत्र, बभ्रुवाहन पर जो मणिपुर का राजा था, उलूपी का बड़ा प्रभाव था। अतः उलूपी का स्थान महाभारत में बहुत महत्त्व का है।
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