लोगों की राय

अमर चित्र कथा हिन्दी >> जलियाँवाला बाग

जलियाँवाला बाग

अनन्त पई

प्रकाशक : इंडिया बुक हाउस प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :31
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 1957
आईएसबीएन :1234567890123

Like this Hindi book 0

जलियाँवाला बाग

ब्रिटिश राज के खातमे की शुरुआत 13 अप्रैल, 1919 को जलियांवाला बाग में घटी यह घटना बिटिश शासन की निरंकुशता के जीते-जागते उदाहरण के रूप में सभी भारतीयों के मन में हमेशा ताजा रहेगी। निहत्थे भारतीयों के इस नृशंस जनसंहार से संपूर्ण विश्व में ब्रिटिश शासन के खिलाफ रोष व्याप्त हो गया। इस शर्मनाक हत्याकांड की प्रतिक्रियास्वरूप रवीन्द्रनाथ टैगोर ने बिटिश सरकार द्वारा प्रदत्त 'नाइट' की उपाधि त्याग दी।

जलियांवाला हत्याकांड के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार मेजर जनरल डायर से भारतीय घृणा करते थे। बढ़ते हुए दबाव की वजह से बिटिश सरकार को भी उसे दोषी ठहराना पड़ा। पर अंग्रेजों की दृष्टि में वह एक शूरवीर था. जिसने ब्रिटिश साम्राज्य की रक्षा की थी। हाउस ऑफ लॉर्डस ने उसके इस घृणित कार्य को निरोधक जनसंहार मानकर उचित ठहराया। सर माइकल ओ डायर ने 'द मॉर्निंग पोस्ट' को डायर के लिए कोष इकट्ठा करने को प्रेरित किया। धन एकत्र करने में अंग्रेज महिलाओं ने गहरी रूचि ली। "टाइम्स ऑफ इंडिया" ने जिसके मालिक अंग्रेज थे। इस कोष में 20,000 रु. का योगदान दिया। डायर को 26,317 पाउंड की थैली भेंट की गयी। भारतीय इतने नाराज थे कि 1940 में जलियांवाला बाग हत्याकांड का प्रतिशोध लेने के लिए ऊधम सिंह ने ओ डायर को गोली मार दी।

जलियांवाला बाग में हुए शहीदों के बलिदान ने स्वतंत्रता संघर्ष को और प्रयत्न कर दिया। इसके कारण ब्रिटिश राज में निष्ठा रखने वाले लाखों लोग स्वतंत्रता के हिमायती बन गये। इस प्रकार जलियांवाला बाग हत्याकांड से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण मोड़ आया।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book