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अमर चित्र कथा हिन्दी >> रजिया सुल्ताना

रजिया सुल्ताना

अनन्त पई

प्रकाशक : इंडिया बुक हाउस प्रकाशित वर्ष : 2004
पृष्ठ :31
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 1959
आईएसबीएन :1234567890123

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रजिया सुल्ताना

भारत पर पहले-पहल आक्रमण करने वाले मुसलमान अरब थे। आठवीं शताब्दी में उन्होंने सिंध को जीत कर अपने पाँव जमाने शुरू किये। 11वीं शताब्दी के आरम्भ में महमूद गज़नवी ने भारत पर चढ़ाई की और उसके बाद ही शेष भारत पर मुसलमानों की सत्ता फैलने लगी।

महमूद ग़ज़नवी के डेढ़ सौ साल बाद मुहम्मद गौरी ने हमला किया और 1172 में तराई की दूसरी लड़ाई में पृथ्वीराज चौहान को हराया। इससे सारा उत्तरी भारत मुसलमानों के अधीन हो गया। इस सफलता में गौरी के गुलामों का बहुत हाथ था-विशेषकर कुतबुद्दीन ऐबक का, जिसने आगे चल कर दिल्ली पर गुलाम वंश का शासन कायम किया।

ऐबक के बाद उसके गुलाम और जामाता, इल्तुतमिश ने 1210 से 1236 तक शासन किया। मरने से पहले उसने अपनी बेटी रज़िया को सिंहासन का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था। जब इसका विरोध हुआ, तो उसने जवाब दिया कि, "मेरे बेटे तो जवानी के नशे में डूबे हैं। उनमें कोई भी यादशाह बनने लायक नहीं। मेरे मरने के बाद आपको पता चलेगा कि राज-काज के लिए मेरी बेटी से बढ़कर कोई नहीं।"

उसकी बात बिल्कुल सच निकली। अपने साढ़े तीन वर्ष के शासन-काल में रज़िया ने अपनी कुशलता की धाक जमा दी। वह जितनी बुद्धिमान थी उतनी ही उदार थी। वह जिस कुशलता के साथ अदालत में बैठकर न्याय करती थी, उसी कुशलता से युद्ध में अपनी सेना के साथ मैदान में भी उतरती थी।

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