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कविता संग्रह >> आनन्द मंजरी

आनन्द मंजरी

त्रिलोक सिंह ठकुरेला

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :48
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 1968
आईएसबीएन :9781613016664

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त्रिलोक सिंह ठकुरेला  की  मुकरियाँ


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मुझे देखकर सैन चलाता।
इत उत गर्दन को मटकाता।
तब भागे जब आये गुल्लू।
क्या सखि, साजन? ना सखि, उल्लू।।



¤

सखि, वह रहता मस्त मलंगा।
साथ निभाए जब हो दंगा।
गाड़े सदा विजय का झंडा।
क्या सखि, साजन? ना सखि, डंडा।।



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गर्मी हो या धूप सताये।
उसका संग साथ मन भाये।
बन जाता वह सुख का दाता।
क्या सखि, शर्बत? ना सखि, छाता।।

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