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अमर चित्र कथा हिन्दी >> मंगल पाण्डे

मंगल पाण्डे

अनन्त पई

प्रकाशक : इंडिया बुक हाउस प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :31
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 1973
आईएसबीएन :1234567890123

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मंगल पाण्डे

कुछ लोग मानते हैं कि हमारे देश को संघर्ष किये बिना ही स्वतंत्रता मिल गयी थी। अंग्रेज़ों ने आजादी हमें "दान" में दे दी थी। इससे बड़ा झूठ और कुछ नहीं हो सकता।

सन् 1757 से ले कर 1857 का विद्रोह शुरू होने तक की अवधि में समय-समय पर विदेशी सत्ता के खिलाफ संघर्ष होते रहे थे।

स्थानीय जनता की भावनाओं के प्रति अंग्रेज़ शासकों के संवेदनाशून्य बर्ताव के कारण ही यह विद्रोह आरंभ हुआ था। उस संवेदनाहीनता का कारण शासकों की अपनी जाति, संस्कृति और धर्म को श्रेष्ठ मानने की भावना थी।

इस अमर चित्र कथा में नेटिव इन्फेंटरी (देसी पैदल सेना) के एक सिपाही मंगल पांडे की रोमांचक कहानी प्रस्तुत है। मंगल पांडे की बंदूक से निकली गोली से ही 1857 की महान क्रान्ति का सूत्रपात हुआ था।

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