लोगों की राय

अमर चित्र कथा हिन्दी >> गुरू गोविन्द सिंह

गुरू गोविन्द सिंह

अनन्त पई

प्रकाशक : इंडिया बुक हाउस प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :30
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 1977
आईएसबीएन :1234567890123

Like this Hindi book 0

गुरू गोविन्द सिंह

मुगल साम्राज्य सोलहवीं शताब्दी के प्रारम्भिक काल में स्थापित हुआ और सत्रहवीं शताब्दी के अन्तिम वर्षों में बिखरने लगा। उसका अन्त करने में दो व्यक्तियों का प्रमुख हाथ रहा। एक थे दक्षिण के शिवाजी और उनके मराठे तथा दूसरे थे उत्तर के गुरु गोबिन्द सिंह व उनके सिख। गुरु गोबिन्द सिंह ने अपने छोटे-से जीवन-काल में युद्ध के मैदान में कोई प्रभावशाली सफलता नहीं पायी। उनकी प्रमुख उपलब्धि यही थी कि उन्होंने पंजाबी सिखों के शान्तिवादी, निष्क्रिय तथा भाग्यवादी सम्प्रदाय को संघर्षशील, उग्र तथा दत्त-संकल्प खालसा के रूप में बदल दिया। उन्होंने सिखों के पाँच अनिवार्य चिन्ह निर्धारित किये। बड़े-बड़े केश और दाढ़ी इन चिन्हों में सम्मिलित हैं। उन्होंने ही सिखों को जाति-भेद-रहित परिवार बनाया- सिंहों का परिवार। वे धर्म-युद्ध के सिद्धान्त के प्रमुख प्रचारक थे। अपने चारों पुत्रों और समस्त अनुयायियों को उन्होंने इस सिद्धान्त का भक्त बनाया। सिखों के दस गुरुओं में गोबिन्द सिंह अन्तिम गुरु थे। वे पंजाबी के महान कवि थे। सिखों में जो विशिष्ट गुण पाये जाते हैं उनकी नींव गुरू गोबिन्द सिंह ने ही रखी थी।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai