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महावीर

अनन्त पई

प्रकाशक : इंडिया बुक हाउस प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :32
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 1985
आईएसबीएन :81-7508-406-5

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महावीर

जैन मत की मान्यता है कि भगवान् महावीर से पहले २३ तीर्थंकर और हो चुके थे। साहित्य तथा ऐतिहासिक तथ्यों से कुछ तीर्थंकरों के बारे में प्रमाण भी मिल चुके हैं। यह सिद्ध हो चुका है कि पार्श्वनाथ और महावीर ऐतिहासिक पुरुष हैं।

भगवान् महावीर न तो जैन मत के प्रवर्तक थे और न अंतिम तीर्थंकर। जैन मत का विश्वास है कि उनसे पहले कई तीर्थंकर हुए थे और भविष्य में भी होंगे। युग-परिवर्तन के अनुसार जैन धर्म में कुछ परिवर्तन चाहे हुए हों, उसके मौलिक तत्वों में कोई परिवर्तन नहीं हुए हैं।

जो स्वयं ज्ञान प्राप्त कर लेता है और उससे दूसरों को धर्म का मार्ग दिखाता है वह तीर्थंकर कहलाता है। महावीर ने स्वयं कहा है कि जिस धर्म का मैं प्रतिपादन करता हूँ, अनेक जिन (जिसने जीता है) पहले भी उसका प्रतिपादन कर चुके हैं और भविष्य में भी करेंगे।

महावीर का जन्म बिहार में वैशाली के उपनगर, क्षत्रिय-कुण्डग्राम या कुण्डपुर में हुआ था। तीस वर्ष की आयु में उन्होंने गृह-सुख त्याग कर संन्यास लिया। बारह वर्ष तक उन्होंने तपश्चर्या की और अनेक कष्ट झेले और अन्त में ज्ञान प्राप्त किया।

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