लोगों की राय

सदाबहार >> तितली

तितली

जयशंकर प्रसाद

प्रकाशक : वाणी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :184
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 2058
आईएसबीएन :81-8143-396-3

Like this Hindi book 5 पाठकों को प्रिय

96 पाठक हैं

प्रस्तुत है जयशंकर प्रसाद का श्रेष्ठतम उपन्यास...

2

धामपुर एक वड़ा ताल्लुका है। उसमे चौदह गाँव हैं। गंगा के किनारे-किनारे उसका विस्तार दूर तक चला गया है। इन्द्रदेव यहीं के युवक जमींदार थे। पिता को राजा की उपाधि मिली थी।

बी० ए० पास करके जब इन्द्रदेव ने बैरिस्टरी के लिए विलायत-यात्रा की, तब पिता के मन में बड़ा उत्साह था।

किन्तु इन्द्रदेव धनी के लड़के थे। उन्हें पढ़ने-लिखने की उतनी आबश्यकता न थी, जितनी लन्दन का सामाजिक बनने की।

लन्दन-नगर में भी उन्हें पूर्व और पश्चिम का प्रत्यक्ष परिचय मिला। पूर्वी भाग में पश्चिमी जनता का जो साधारण समुदाय है, उतना ही विरोध पूर्ण है, जितना कि विस्तृत पूर्व और पश्चिम का। एक ओर सुगन्ध जल के फौवारे छूटते हैं, बिजली से गरम कमरो में जाते ही कपड़े उतार देने की आवश्यकता होती है; दूसरी ओर बरफ और पाले में दूकानों के चबूतरो के नीचे अर्ध-नग्न दरिद्रों का रात्रि-निवास।

इन्द्रदेव कभी-कभी उस पूर्वी भाग की सैर के लिए चले जाते थे।

एक शिशिर रजनी थी। इन्द्रदेव मित्रों के निमन्त्रण से लौटकर सड़क के किनारे, मुंह पर अत्यन्त शीतल पवन का तीखा अनुभव करते हुए, बिजली के प्रकाश में धीरे-धीरे अपने 'मेस' की ओर लौट रहे थे। पुल के नीचे पहुँच कर वह रुक गये। उन्होंने देखा-कितने ही अभागे, पुल की कमानी के नीचे अपना रात्रि-निवास बनाये हुए, आपस में लड़-झगड़ रहे है। एक रोटी पूरी ही खा जायगा।-इतना बड़ा अत्याचार न सह सकने के कारण जब तक स्त्री उसके हाथ से छीन लेने के लिए अपनी शराब की खुमारी से भरी आँखों को चढ़ाती ही रहती है तब तक लड़का उचक कर छीन लेता है। चटपट तमाचों का शब्द होना तुमुल युद्ध के आरम्भ होने की सूचना देता है। धील-धप्पड, गाली-गलौज बीच-वीच में फूहड़ हँसी भी सुनाई पड़ जाती है।

इन्द्रदेव चुपचाप वह दृश्य देख रहे थे और सोच रहे थे इतना अकूत धन विदेशों से ले आकर भी क्या इन साहसी उद्यगियों ने अपने देश को दरिद्रत का नाश किया? अन्य देशों की प्रकृति का रक्त इन लोगों की कितनी प्यास बुला सका है?

सहसा एक लम्बी-सी पतली-दुबली लड़की उनके पास आकर कुछ याचना की। इन्द्रदेव ने गहरी दृष्टि से उस विवर्ण मुख को देख कर पूछा-क्यों, तुम्हारे पिता-माता नहीं हैं?

पिता जेल में हैं, माता मर गई है।

और इतने अनाथालय?

उनमें जगह नहीं!

तुम्हारे कपड़ों से शराब की दुर्गन्ध आ रही है। क्या तुम.,.

'जैक' बहुत ज्यादा पी गया था, उसी ने कै कर दिया है। दूसरा कपड़ा नहीं जो बदलूँ बड़ी सरदी है-कहकर लड़की ने अपनी छाती के पास का कपड़ा मुट्ठियों में समेट लिया।

तुम नौकरी क्यों नहीं कर लेती?

रखता कौन है? हम लोगों को तो वे बदमाश, गिरह-कट आवारे समझते हैं। पास खड़े होने तो...

आगे उस लड़की के दाँत आपस में रगड़कर बजने लगे। यह स्पष्ट कुछ न कह सकी।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book