अमर चित्र कथा हिन्दी >> सच्चा विजेता सच्चा विजेताअनन्त पई
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सच्चा विजेता
जैसा कि सब जानते हैं, सिद्धार्थ ने मानव-मात्र के दुःखों का हल खोजने के लिए घर-बार छोड़ा था। एक दिन जब वे गया में बोधिवृक्ष के नीचे बैठे ध्यान कर रहे थे, उन्हें बोध हुआ और तब से वे बुद्ध कहलाये।
उन्होंने ऐसा सरल और व्यावहारिक मार्ग खोजा था, जिस पर साधारण से साधारण आदमी भी चल सकता था। उनके अनुयायी बनने वालों को ये चार सम्यक सत्य स्वीकारने और समझने पड़ते थे:-
सांसारिक जीवन दुःखों से भरा है:
चाहत और लगाव दुःखों की जड़ है।
चाहत और लगाव को दूर कर के दुःखों से पार पाया जा सकता है।
और वैसा करने का रास्ता है। इसका जो रास्ता उन्होंने बताया. उसे "आठ अंगोंवाला श्रेष्ठ मार्ग" (आर्य अष्टांगिक मार्ग) कहा जाता है। उसके आठ अंग ये हैं- ठीक दृष्टि, ठीक संकल्प, ठीक वचन, ठीक कर्म, ठीक जीविका, ठीक प्रयत्न, ठीक स्मृति और ठीक समाधि।
इस मार्ग पर चलने से चित्त को शांति मिलती है, यह बात परंपरा से चली आ रही बौद्ध कथाओं में बड़े सुंदर ढंग से समझायी गयी है। ऐसी ही कुछ कथाएँ इस चित्र कथा में प्रस्तुत हैं।
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