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शेरशाह
शेरशाह का जन्म 1486 में बिहार के सासाराम नामक स्थान में हुआ था। वह बड़ा कुशल शासक था और उसने भूमि सम्बन्धी अनेक सुधार किये जिनके कारण उसका नाम इतिहास में अमर है। उसने सारी भूमि की पैमाइश करवा के उसे परगनों में बाँटा और किसानों का लगान निश्चित कर दिया। अपने अधिकारियों पर उसने कड़ी पाबन्दी लगा दी कि वे निश्चित रकम से पाई भी अधिक वसूल न करें। इससे वह किसानों में बड़ा लोकप्रिय हुआ और किसानों को और अधिक मेहनत करने का बढ़ावा मिला। उसने कई सड़कें बनवायीं जिनसे व्यापार में उन्नति हुई और देश में समृद्धि बढ़ी।
हिन्दू और मुसलमान, सबके साथ वह एक-सा बर्ताव करता था। अपराधों और उपद्रवों की रोकथाम की। उसकी कुशलता के बारे में प्रसिद्ध था कि सोने की गठरी सिरहाने रखकर खुले मैदान में सो जाने पर किसी असहाय वृद्धा को भी चोरी का डर नहीं था।
यद्यपि शेरशाह का जन्म शाही घराने में नहीं हुआ था फिर भी अपनी योग्यता और लगन के बल पर वह बादशाह बना। उसने बहुत कर्मठ जीवन बिताया। लगभग पाँच वर्षों के अपने छोटे-से शासन-काल में ही उसने भारत के इतिहास में अपना उल्लेखनीय स्थान बना लिया। 1545 में कालंजर के युद्ध में तोप का गोला लगने से उसकी मृत्यु हुई।
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