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सुभद्रा
महाभारत के पाँच पाण्डवों (युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल एवं सहदेव) में महा-धनुर्धारी अर्जुन अपनी धनुर्विद्या के लिए विख्यात थे। उन्होंने धनुर्विद्या के कारण ही अपनी प्रथम पत्नी दौपदी को जीता था। लेकिन माता कुन्ती के मुख से अनजाने में कुछ ऐसी बात निकल गयी थी कि द्रौपदी को पाँचों पाण्डवों की पत्नी बनना पड़ा। दौपदी को इस दुविधा से उबारने के लिए पाँचों भाइयों ने एक नियम बनाया और निर्णय किया कि जो उस नियम का उल्लंघन करेगा उसे 12 वर्ष के लिए राजधानी इन्द्रप्रस्थ से निर्वासित कर दिया जायेगा।
एक समय परिस्थितिवश अर्जुन को इस नियम को भंग करने के लिए विवश होना पड़ा। अतः उन्होंने अपने आप को इन्द्रप्रस्थ से निर्वासित रखने का निश्चय किया। इस निर्वासन काल में उनका परिचय उलूपी एवं मणिपुर के राजा की पुत्री चित्रांगदा से हुआ। राजा ने अपनी पुत्री का विवाह इस शर्त पर अर्जुन से किया कि उनसे उत्पन्न पुत्र मणिपुर में ही रहेगा एवं वह मणिपुर राज्य का उत्तराधिकारी होगा। मणिपुर में, अपने निर्वासन के तीन वर्ष बिताने के पश्चात्, अर्जुन ने प्रभास की ओर प्रस्थान किया। वहाँ से सुभद्रा की सुन्दरता की ओर आकर्षित हुए और उससे प्रेम करने लगे।
प्रस्तुत कथा 'महाभारत' पर आधारित है।
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