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सुकन्या
जीर्ण-शीर्ण वृद्ध च्यवन की कथा ने पौराणिक कथा लेखकों को निश्चय ही आकर्षित किया होगा, जिन्हें अश्विनी कुमारों की कृपा से दुबारा यौवन पाप्त हुआ। ऋग्वेद, शतपथ ब्राह्मण, महाभारत, भागवत पुराण, देवी पुराण आदि अनेक ग्रन्थों में इसकी चर्चा मिलती है।
आयुर्वेदिक विज्ञान में पुनर्यौवन प्राप्ति की एक दवा का नाम च्यवनप्राश है, जो इन्हीं के नाम पर रखा गया था। मगर च्यवन की कथा को बार-बार दुहराने का मुख्य कारण था-सुकन्या के पातिव्रत्य की महिमा। सुकन्या राजा शर्याति की जवान बेटी थी, जिससे च्यवन का विवाह हुआ था यद्यपि वह जीवन के हास-विलास में पली थी, उसने अपने पति के लिए उनका परित्याग कर दिया और अपने वचन और कार्यों से उन्हें सुखी बनाने का प्रयत्न किया।
उसने जुड़वा देवता अश्विनी कुमारों के प्रस्ताव को टुकरा दिया और उन्हें इतना लज्जित किया कि उन्होंने उसके पति की दृष्टि और यौवन लौटा दिये। सुकन्या की कथा शताब्दियों तक भारतीय नारी के लिए जीवन शक्ति का आधार बनी। इस पुस्तक में जो कथा कही गयी है, वह मुख्यतः महाभारत पर आधारित है।
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