लोगों की राय

अमर चित्र कथा हिन्दी >> सुंदरी

सुंदरी

अनन्त पई

प्रकाशक : इंडिया बुक हाउस प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :32
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2070
आईएसबीएन :1234567890123

Like this Hindi book 0

सुंदरी

"सुन्दरी" डॉ. वीर सिह का पहला उपन्यास था और 1898 में प्रकाशित हुआ था। यह पंजाबी साहित्य का भी पहला उपन्यास था। लेखक ने उसकी रचना एक लोकप्रिय पंजाबी ग्राम-गीत के आधार पर की थी।

अब तक इस उपन्यास के 35 संस्करण प्रकाशित हो चुके है जिनकी 2.00.000 से अधिक प्रतियां बिक चुकी हैं।

"सुन्दरी" एक साहसी सिख युवती की कहानी है जिसने अपने सतीत्व की रक्षा और सिख धर्म पर अटल रहने के लिए अनेक कठिनाइयों और आपत्तियों झेली। बंदा बहादुर की मृत्यु के बाद 18वीं शताब्दी में (1740-1760) सिखों को जो संघर्ष करना पड़ा था उसे पृष्ठभूमि बना कर यह कथा लिखी गयी है। उस जमाने में मैयनदीन, मीर मन्नू और याहिया खाँ जैसे नवाब और सूबेदार सिखों के हौसलों को नष्ट कर देने की भरसक कोशिश कर रहे थे। सिखों को मारने पर इनाम दिये जाते थे, हिन्दू कन्याओं का अपहरण किया जाता था। ज़बर्दस्ती मुसलमान बनाना आम बात हो गयी थी।

सुन्दरी ने सिख सेना में भर्ती होकर दमन-विरोधी संघर्ष में बड़ी साहसपूर्ण भूमिका अदा की। हिंसा के उस वातावरण में तथा उसके विरुद्ध लड़ते हुए सुन्दरी कठोर हो गयी थी फिर भी उसकी दया और उदारता हमेशा बनी रही और मुसीबत में पड़े हुए शत्रुओं के प्रति भी उसने उदारता दिखायी। यह पुस्तक भाई वीर सिंह साहित्य सदन के सौजन्य से प्रकाशित की गई है।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book