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पंचतंत्र - ब्राह्मण और बकरा

अनन्त पई

प्रकाशक : इंडिया बुक हाउस प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :32
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2077
आईएसबीएन :1234567890123

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पंचतंत्र - ब्राह्मण और बकरा

अनुमान है कि संस्कृत में पंचतंत्र की मूल रचना विष्णु शर्मा नामक विद्वान ने ईसा-पूर्व सन् 200 के आस-पास की थी। परंतु इसकी कुछ कथाएँ अवश्य उससे पहले लोगों की जबान पर रही होंगी। समय बीतने के साथ ये कथाएँ यात्रियों के माध्यम से फारस और अरब पहुँची और फिर यूनान होकर यूरोप। अब तक पंचतंत्र का पचास या इससे भी अधिक भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।

पंचतंत्र की कथाओं की रचना की भी अपनी ही कहानी है। प्राचीन भारत के किसी नरेश को ऐसा कोई अध्यापक नहीं मिल रहा था जो उसके पुत्रों के मन में ज्ञान की पिपासा जगाने में समर्थ होता। बहुत प्रयत्न करने के बाद उसे विष्णु शर्मा मिले जिनमें यह सामर्थ्य था।

दर्शन शास्त्र, मनोविज्ञान तथा राज-काज के सिद्धान्तों का अध्ययन वैसे तो बड़ा नीरस होता परंतु विष्णु शर्मा ने पशु-पक्षियों के मुँह से उनके अनुभवों की कहानियाँ बड़े रुचिकर ढंग से प्रस्तुति की और उनमें छिपी हुई शिक्षाएँ राजकुमारों के मन में बैठ गयीं।

पंचतंत्र के द्वारा जो शिक्षाएँ देने का प्रयास किया गया है वे आज तक सार्थक है। इन कथाओं की रचना 2000 वर्ष पहले की गई है फिर भी उनका आकर्षण ज्यों का त्यों कायम है।

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