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लज्जा

तसलीमा नसरीन

प्रकाशक : वाणी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :184
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2125
आईएसबीएन :9789352291830

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प्रस्तुत उपन्यास में बांग्लादेश की हिन्दू विरोधी साम्प्रदायिकता पर प्रहार करती उस नरक का अत्यन्त मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया गया है...


'स्टैथिस्कोप' की नाल किरणमयी के कान में लगाकर वे उन्हें भी अपने बच्चे के दिल की धड़कन सुनाया करते थे। दुनियाभर के लोग बेटा चाहते हैं, और सुधामय चाहते थे बेटी। बचपन में सुरंजन को फ्रॉक पहनाकर सुधामय अपने साथ घुमाने ले जाया करते थे। माया के जन्म के बाद सुधामय की वह आशा पूरी हुई। 'माया' नाम सुधामय ने ही रखा था। कहा था, 'यह मेरी माँ का नाम है। मेरी एक माँ गयी, दूसरी माँ आ गयी।

रात में माया ही सुधामय को दवा पिलाती थी। दवा लेने का वक्त बहुत महले बीत गया है। वे 'माया-माया' कहकर अपनी चहेती बेटी को पुकारते हैं। पड़ोसी सब के सब सो गये। उनकी पुकार जागती किरणमयी के कानों में पड़ी, सुरंजन ने भी सुनी, उस काली-सफेद चितकबरी बिल्ली ने भी सुनी।

उत्तरप्रदेश के अयोध्या में बाबरी मस्जिद के तोड़े जाने के बाद सारे भारत में जो रक्तगंगा बहने वाला संघर्ष छिड़ा था, वह अब धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। भारतमें इसी बीच मृतकों की संख्या अट्ठारह सौ पार कर गयी है। कानपुर और भोपाल में अब भी संघर्ष चल रहा है। इसे रोकने के लिए गुजरात, कर्नाटक, केरल, आन्ध्रप्रदेश, असम, राजस्थान और पश्चिम बंगाल की सड़कों पर सेना तैनात कर दी गयी है। वह गश्त लगा रही है, पहरा दे रही है। भारत में प्रतिबंधित घोषित किये गये दलों के दरवाजे पर ताला लटक रहा है। शान्ति और सद्भावना की रक्षा के लिए ढाका में सर्वदलीय स्वतःस्फूर्त जुलूस निकाला जा रहा है, लेकिन उससे क्या! इधर गोलकपुर में तीस हिन्दू लड़कियों के साथ बलात्कार किया गया, चंचली, संध्या मणि । निकुंज दत्त की मौत हो गयी है। भगवती नाम की एक वृद्धा की, डर के मारे दिल की धड़कन रुक जाने से मौत हो गयी। गोलकपुर में दिन के उजाले में भी बलात्कार की घटना घटी है। मुसलमानों के घर में आश्रय लेने वाली लड़कियों तक की इज्जत लूटी गयी। 'दासेर हाट' बाजार के ‘नांटू' की चौदह सौ मन सुपाड़ी

का गोदाम जलाकर राख कर दिया। भोला शहर के मंदिरों के तोड़े जाने की घटना के समय पुलिस, मेजिस्ट्रेट, डी. सी. चुपचाप खड़े तमाशा देखते रहे। गहनों की दुकानों को खुलेआम लूटा गया। हिन्दुओं का धोबीखाना जलाकर राख कर दिया। मानिकगंज शहर का लक्ष्मी मण्डप, सार्वजनिक शिवबाड़ी, दाशोरा, कालीखला, स्वर्णकार पट्टी, गदाधर पाल का वेवरेज और पक्की सिगरेट की दुकान को भी तोड़ डाला गया। तीन ट्रक आदमियों ने तरा, बानियाजुरी, पुकुरिया, उथली, महादेवपुर, जोका, शिवालय थाने पर हमला किया। शहर से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित बेतिला गाँव में हिन्दुओं के घरों को लूटा गया। जलाया गया। वेतिला के सौ साल पुराने नटमंदिर पर हमला किया गया। गढ़पाड़ा के जीवन साह के घर में आग लगा दी गयी। उसकी तीन गोशाला जलकर राख हो गयीं। कई सौ मन धान भी जलकर राख हो गया।

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