लोगों की राय

कविता संग्रह >> परशुराम की प्रतीक्षा

परशुराम की प्रतीक्षा

रामधारी सिंह दिनकर

प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :80
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 2216
आईएसबीएन :81-85341-13-3

Like this Hindi book 8 पाठकों को प्रिय

18 पाठक हैं

रामधारी सिंह दिनकर की अठारह कविताओं का संग्रह...


(4)
जहाँ भी सुनो, वही आवाज़ है,
भारत में आज, बस, जीभ का स्वराज है।
और मन्त्री भी न अप्रमुख हैं।
एक कैबिनट के अनेक यहाँ मुख हैं।

एक कहता है, हाहाकार है,
दाम पै लगान कसो, देश की पुकार है।
दूसरे की मति अति शुद्ध है,
कहता है, नीति यह धर्म के विरुद्ध है।

गाँधीजी की याद नहीं टेक है?
पूँजीपति और जनता का भाग्य एक है।
आज़ादी की धार गहराने दो,
जो भी चाहता हो, उसे छूट के कमाने दो।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book