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हिन्दी अंग्रेजी अभिव्यक्ति कोश

कैलाशचन्द्र भाटिया

प्रकाशक : प्रभात प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2004
पृष्ठ :429
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 2647
आईएसबीएन :81-7315-006-0

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हर भाषा की अपनी अभिव्यक्ति होती है। प्रस्तुत पुस्तक में हिन्दी की कुछ अभिव्यक्तियों को अंग्रेजी में किस प्रकार प्रयोग किया जाता है तथा अंग्रेजी की कुछ अभिव्यक्तियों को हिन्दी में प्रयोग में लाया जाता है, इस विषय में जानकारी दी गई है।

Hindi-Angreji Abhivyakti kosh-A Hindi Book by Kailash Chandra Bhatiya

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

अपनी बात

किसी अभिव्यक्ति के लिए एक शब्द या शब्द-समूह का दूसरे शब्दों से संयोजन होता है। इस प्रक्रिया से निर्मित विशिष्ट शब्द-समूह विशिष्ट अर्थ की अभिव्यक्ति करता है। विशेषत: आवृत्ति के कारण कुछ प्रयोग भाषा में रूढ़ हो जाते हैं। इस दृष्टि से अब अंग्रेजी के साथ-साथ हिन्दी में काफी एकरूपता विकसित हो चुकी है। अब तक यह समझा जाता रहा है कि हिंदी में एकरूपता का अभाव है। एकरूपता की इस दिशा में ही प्रयोगों/पदबंधों की प्रचुर मात्रा इस अभिव्यक्ति कोश में है।

विभिन्न स्थितियों व संदर्भों के अनुसार ही भाषा प्रयोग में आती है। उचित संदर्भ में भाषा-भेदों की संकल्पना को परिभाषित करने के लिए जिस शब्द का प्रयोग किया जाता है उसे ‘प्रयुक्ति’ (रजिस्टर) कहते हैं। प्रयोगगत भाषायी विभिन्नता को प्रयुक्ति-रजिस्टर की संज्ञा दी गई है। सरकार में कार्यपालिका की अथवा प्रशासन की कामकाजी भाषा कार्यालयीन हिंदी है। कार्यालयों में प्रयुक्त होनेवाली हिन्दी का अपना अलग रजिस्टर है। किसी भी क्षेत्र की प्रयुक्ति (रजिस्टर) का मुख्य आधार उस क्षेत्र विशेष की तकनीकी शब्दावली होती है। इसके साथ ही प्रयुक्ति की भाषागत संरचना और पदीय अन्विति भी महत्त्वपूर्ण है, विशेषत: राजभाषा हिन्दी के संदर्भ में। इनके आधार पर ही कार्यालयीन हिन्दी का विशिष्ट रूप विकसित हो गया है जिसके आधार पर प्रस्तुत अभिव्यक्ति कोश की संकल्पना की गई है।

यह ठीक है कि हमारे देश में राजभाषा के रूप में सदियों से अंग्रेजी चलती आ रही है पर साथ ही हिन्दी भी युगयुगों से प्रयोग में आती रही। उन्नीसवीं सदी के प्रारम्भ में फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना के तुरंत बाद प्रत्येक अंग्रेज अधिकारी के लिए हिन्दी का प्रशिक्षण अनिवार्य़ कर दिया गया था। सन् 1965 ई. से भारतीय संविधान के अनुसार केन्द्र की मुख्य राजभाषा हिन्दी ही है। विधि प्रशासन आदि क्षेत्रों में विभिन्न अर्थच्छटाओं की अभिव्यक्ति के लिए तथा सूक्ष्म से सूक्ष्म विचारों को प्रकट करने के लिए अंग्रेदों के साथ ही हिन्दी भाषा में शब्दों, पदबंधों/प्रयोगों/प्रयुक्तियों का अपार भण्डार है जो निरन्तर बढ़ता चला जा रहा है। प्रयोग से ही भाषा की क्षमता में वृद्धि और विकास होता है। शब्द-भण्डार की कमी हिन्दी में भी नहीं है लेकिन निश्चित शब्द-समूह को व्यवस्थित कर अभिव्यक्ति में प्रयोग में लाना होगा। भारत संघ में केन्द्र सरकार की प्रमुख राजभाषा हिन्दी है और उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश तथा दिल्ली हिन्दी-भाषी राज्यों की राजभाषा हिन्दी ही है साथ ही पंजाब, महाराष्ट्र, गुजरात व चण्डीगढ़, अंडमान (केन्द्रशासित प्रदेश) ने संपर्क भाषा के रूप में हिन्दी को स्वीकार कर लिया है। इस विशाल क्षेत्र में हिन्दी के प्रगामी प्रयोग को बढ़ाने में इस कोश से बड़ी सहायता मिलेगी।

 

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