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मैनेजमेन्ट में नए प्रयोग

पार्किन्सन, रूस्तमजी

प्रकाशक : राजपाल एंड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :213
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2685
आईएसबीएन :81-7028-658-1

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मैनेजमेन्ट के 25 महान गुरूओं और विचारकों के अनुभवों का सार....

Management mein naye prayog

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

मैनेजमेन्ट, सैद्धान्तिक से अधिक, व्यावहारिक अनुभवों पर आधारित एक शास्त्र है। इस बात को सबसे पहले और सबसे गहराई से सी. नार्थकोट पार्किन्सन और एम. के. रूस्तमजी की लेखक जोड़ी ने समझा। उन्होंने खेल-खेल में गूढ़ बात समझा देने वाली एक लोकप्रिय वर्णन शैली भी विकसित की। यही वजह है कि उनकी पुस्तकें काम के व्यस्त क्षणों में भी थोड़ा-सा वक्त निकाल कर पढ़ी जा सकती हैं और बातें सीधे दिल तक उतरती जली जाती है। पार्किन्सन और रूस्तमजी की जोड़ी ने यह पुस्तक एक और मैनेजमेन्ट विशेषज्ञ एस. ए. सप्रे के सहयोग से तैयार की है। इसमें विभिन्न क्षेत्रों में सफल मैनेजमेन्ट के कीर्तिमान कायम करने वाले 25 मैनेजमेन्ट गुरू और विचारकों के अनुभव का सार सूत्रों के रूप में दिया गया है जो मैनेजमेन्ट के लिए बेहद उपयोगी है। विषय को आसान और रोचक बनाने के लिए साथ में मनोरंजक कार्टून भी दिये गये हैं।
इसमें पढ़िये-
एल्टन मेयो, एफ.डब्ल्यू.टेलर, मेरी फोलेट, अब्राहम मैस्लो, डग्लस मेक्ग्रेगर, हर्बर्ट सिमोन, पीटर ड्रकर, क्रिम ऐर्मिदिस, लाइकर्ट थियोडोर लेविट, हेराल्ड कून्त्ज़ तथा जे. के. गालब्रेथ आदि।

अध्याय 1
एफ.डब्लू.टेलर (1856-1915)

वैज्ञानिक मैनेजमेन्ट से ही समृद्धि सम्भव है

सन् 1911 में टेलर की पुस्तक ‘वैज्ञानिक मैनेजमेन्ट’ के प्रकाशन के साथ ही मैनेजमेन्ट के क्षेत्र में वैज्ञानिक मैनेजमेन्ट की विचारधारा सामने आयी। इस विचारधारा के कारण श्रम की उत्पादकता अब तक सौ गुना तक बढ़ चुकी है। गरीबी निवारण के उपायों में वैज्ञानिक मैनेजमेन्ट का विशेष स्थान है। किसी देश की सम्पन्नता इस बात पर निर्भर करती है कि वह अपनी श्रम-शक्ति, जमीन, मशीनों, कच्चे माल तथा अन्य संसाधनों का कितनी कुशलता से उपयोग करता है। अब हम संक्षेप में वैज्ञानिक मैनेजमेन्ट को समझने का प्रयास करेंगे।

मनुष्य हज़ारों सालों से काम कर रहा है। उसने भव्य स्मारक, शानदार मन्दिर, अजेय दुर्ग तथा चकित करने वाले पिरामिड बनाये, परन्तु टेलर से पहले किसी ने भी मनुष्य के कार्य को समझने तथा विश्लेषित करने के बारे में नहीं सोचा। टेलर वह पहला व्यक्ति था, जिसने कार्य करने वाले व्यक्तियों का अध्ययन किया।

वैज्ञानिक मैनेजमेन्ट क्या है ?


वैज्ञानिक मैनेजमेन्ट का तात्पर्य (input) निर्गत (output) तथा लागत (costs) का गहराई से विश्लेषण है। इसमें अन्दाज लगाने या अँगूठे के नियम जैसी चीजों का कोई स्थान नहीं है। इसका अर्थ-बुद्धिमानी से योजनाएँ बनाना तथा उनका कुशल क्रियान्वयन। अगर हम यह मान लें कि कोई व्यक्ति एक नयी फैक्ट्री लगाना चाहता है, तो वैज्ञानिक रूप से प्रशिक्षित मैनेजर सबसे पहले उसकी आधारभूत सूचनाएं इकट्ठी करेगी, जैसे—बिक्री कितनी होगी, उत्पादन क्षमता कितनी चाहिए, जरूरी मशीनें क्या होंगी, पूँजी कितनी लगेगी, विदेशी मुद्रा कितनी चाहिए और उसका संगठनात्मक रूप क्या होगा। यह सब एकत्र करने के बाद ही वह उसकी पूरी योजना बनायेगा।

उत्पादकता—संगठन के स्वास्थ्य की निशानी


किसी भी संगठन की असली शक्ति है, उसकी उत्पादकता। टेलर ने व्यवसायिक संगठनों के स्वास्थ्य और स्थायित्व पर काफी ध्यान दिया। उनका मानना था कि उत्पादकता को किसी भी सीमा तक बढ़ाया जा सकता है, परन्तु यदि कभी उत्पादकता गिरती है, तो इसका नुकशान शेयरधारकों तथा प्रबन्धकों समेत सारे देश को उठाना पड़ता है। टेलर को किसी भी तरह की कमजोरी से चिढ़ थी।

टेलर व्यावहारिक व्यक्ति थे। उन्होंने कच्चे लोहे की शोधन-क्षमता को प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 12 टन से बढ़ाकर 48 टन करके अपने विचारों की उपयोगिता का एहसास कराया। यह आश्चर्यजनक सफलता थी। इस पूरी प्रक्रिया के पाँच चरण थे—कामगारों का चुनाव, कार्य को करने के सर्वश्रेष्ठ तरीके की पहचान, काम के लिए सही मशीनों का चुनाव, प्रशिक्षण तथा कामगारों का मनोबल।

वैज्ञानिक मैनेजमेन्ट व सन्तुलन


वैज्ञानिक मैनेजमेन्ट और श्रमिकों के बीच सन्तुलन पर ध्यान देता है। इन दोनों पक्षों के बीच तनाव का मुख्य कारण साधारणतः आमदनी का बँटवारा होता है। टेलर ने महसूस किया कि यदि दोनों पक्ष आपस में संघर्ष के स्थान पर सहयोग करें, तो वे आमदनी को कई गुना बढ़ा सकते हैं। इसके परिणास्वरूप श्रमिकों को ऊँची मजदूरी, मैनेजमेन्ट को अधिकम मुनाफ़ा। शेयरधारकों को अधिक आय तथा ग्राहकों को कम मूल्य पर सामान प्राप्त होगा।

मैनेजमेन्ट स्वतन्त्र विषय है


एक अच्छा इन्जीनियर हमेशा एक अच्छा मैनेजर नहीं होता। मैनेजमेन्ट एक बिल्कुल स्वतन्त्र विषय है। इसका अलग से अध्ययन होना चाहिए। इसके विभिन्न पक्ष हैं—मानवीय सम्बन्ध, बजट योजना, नियन्त्रण व निर्देशन आदि।

प्रशिक्षण


अल्पविकसित देशों का मैनेजमेन्ट का स्तर नीचा होता है। मैनेजर वास्तव में फर्म रूपी जहाज का कैप्टन होता है। एक कमजोर और अकुशल मैनेजर का अर्थ है—अकुशल मैनेजमेन्ट। मैनेजमेन्ट के प्रशिक्षण की हर फर्म को आवश्यकता होती है, चाहे वह बड़ी हो या छोटी। इसलिए वैज्ञानिक मैनेजमेन्ट का अध्ययन व इसका उपयोग आवश्यक है।

टेलर के वैज्ञानिक मैनेजमेन्ट की समीक्षा


कार्यकुशलता व अधिकतम मुनाफ़ा टेलर के भगवान थे। जब वह युवा थे, तो उन्होंने राष्ट्रीय चैम्पियन बनने के लिए चम्मच के आकार का टेनिस रैकेट बनाया था। उन्होंने अपनी सभी कामों में कुशलता के स्तर को प्राप्त करने का प्रयास किया।

टेलर का साहस


टेलर कार्य के स्तर पर हर किस्म की सुस्ती को रोकना चाहते थे। इस सुस्ती को वह ‘समझ-बूझकर कामचोरी’ कहते थे। जब वह फैक्ट्री में गैंग बॉस बने, तो श्रमिकों को लगा कि वह उनसे अधिक काम करायेंगे। इस कारण टेलर और उनके श्रमिकों में लगातार झगड़े होने लगे। फैक्ट्री में जानबूझकर हड़ताल की जाने लगी। टेलर की जान खतरे में पड़ गयी, परन्तु वे बहादुर व्यक्ति थे। उन्होंने काम न करने वालों पर जुर्माना किया तथा फैक्ट्री में शान्ति स्थापित करने में सफल हुए।

श्रमिकों द्वारा विरोध


टेलर को लगता था कि वह श्रमिकों के दोस्त हैं, परन्तु श्रमिक अपना मुख्य शत्रु उन्हें मानते थे। वे टेलर को ‘घड़ी वाला टेलर’ कहते थे। उन्हें लगता था कि टेलर का कुशलता अभियान उनके लिए गुलामी के समान है। इससे उनकी सेहत गिर जायेगी, उनकी आज़ादी कम होगी और बड़े पैमाने पर बेरोजगारी फैलेगी।

आदमी और मशीन


टेलर ने मशीनों और श्रमिकों को एक समान समझा। जिस प्रकार मशीनें ठीक रख-रखाव से अच्छे ढंग से काम करती हैं, उसी प्रकार कार्य के अच्छे माहौल, उचित प्रशिक्षण और ऊँची मजदूरी मिलने पर श्रमिक भी अपने आप अधिक कार्य करेंगे। लेकिन व्यक्ति के बारे में उसका ऐसा सोचना गलत था। मनुष्य सृजनशील है। उसके पास भावनाएँ हैं, दुःख-दर्द है, दिमाग है, परन्तु टेलर ने इन सब पर ध्यान नहीं दिया।

कोई सवाल नहीं


मानवीय समस्याओं के बारे में टेलर की सोच मशीनी थी। उनके मजदूर में से एक हमेशा ही उनसे सवाल पूछता रहता था और पहले से निर्धारित काम के तरीकों में परिवर्तन का सुझाव देता था। टेलर इस बात से काफ़ी नाराज थे। उन्होंने उसे डाँटते हुए कहा कि ‘‘तुमसे सोचने को नहीं कहा गया है। यहाँ पर और भी लोग हैं, जिन्हें इस काम के लिए तन्ख्वाह दी जाती है।

कोई तरीक़ा सबसे बेहतर नहीं


टेलर का मानना था कि किसी भी काम को करने का एक ही सबसे बेहतर तरीका होता है। परन्तु वास्तव में ऐसा नहीं था। हर किसी का काम को करने का अपना तरीका होता है। अच्छे शिक्षक हमेशा एक-जैसे तरीके से नहीं पढ़ाते हैं। हर किसी का अपना अलग तरीक़ा होता है। टेलर का सबसे बेहतर तरीक़े पर जोर देना एक गलती थी।

वैज्ञानिक मैनेजमेन्ट के विरुद्ध विद्रोह



अमेरिका में वैज्ञानिक मैनेजमेन्ट के विरुद्ध आक्रोश पैदा हो गया। इसे क्रूर माना गया। इसे पूँजीपतियों द्वारा श्रमिकों के शोषण का हथियार समझा गया। बेथेलहम स्टील कम्पनी ने, जहाँ टेलर ने अपना कच्चे लोहे वाला प्रसिद्ध प्रयोग किया था, उन्हें नौकरी से निकाल दिया। कम्पनी के अध्यक्ष ने टेलर को एक वाक्य का पत्र लिखा—‘‘दिनांक 1 मई, 1901 के पश्चात् कम्पनी को आपकी सेवाओं की आवश्यकता नहीं है।

खोज का अन्त


अमेरिका सरकार को बाध्य होकर टेलर के वैज्ञानिक मेनेजमेन्ट के दुष्प्रभावों की जाँच के लिए दो आयोगों का गठन करना पड़ा। सेना की फैक्ट्रियों में विशेष घड़ी (स्टॉप वॉच) के प्रयोग पर रोक लगा दी गयी। टेलर इस बात को समझ नहीं सके कि जिस वैज्ञानिक मेनेजमेन्ट से हर किसी को फायदा होता, उसका इतना विरोध क्यों किया जा रहा है। इस प्रकार एक नये विश्व की इस बुद्धिमत्तापूर्ण शुरुआत पर रोक लग गयी। टेलर मैनेजमेन्ट की भूमिका तथा उत्पादन बढ़ाने की जरूरत को ज्यादा बेहतर ढंग से समझते थे, परंतु वह यह नहीं जान सके कि कार्य करने के लिए व्यक्तियों को प्रेरित कैसे किया जाये।



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