मनोरंजक कथाएँ >> नटखट लोमड़ी नटखट लोमड़ीदिनेश चमोला
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केशव गढ के दयालु राजा थे महाराज हेमन्त। वह प्रतापी एवं परोपकारी थे। उनकी वीरता, साहस व परोपकार की चर्चा आसपास के सभी राज्यों में थी। उनकी एक अत्यन्त सुन्दर कन्या थी।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
एक थी फूलकुमारी
केशव गढ के दयालु राजा थे महाराज हेमन्त। वह प्रतापी एवं परोपकारी थे।
उनकी वीरता, साहस व परोपकार की चर्चा आसपास के सभी राज्यों में
थी।
उनकी एक अत्यन्त सुन्दर कन्या थी। वह फूलों से भी सुन्दर थी। अतः महारानी
वासवदत्ता ने उनका नाम फूलमती रखवाया। संयोग से फूलमती को फूलों से बहुत
प्रेम था।
इसलिए महाराज हेमन्त ने महल के चारों ओर चार उद्यान बनवाए। साथ ही आर-पार में फल-फूलों की कई कतारें बनवाई। वसन्त ऋतु में उद्यान नन्दन वन से महक उठते। महाराज-महारानी राजकुमारी फूलमती को फूलों के बीच मस्त देख अत्यन्त प्रसन्न होते। राजकुमारी फूलमती के रूप सौन्दर्य की चर्चा दूर-दूर के प्रान्तों में थी।
वासन्ती ऋतु थी। महल के चारों ओर रंग-बिरंगे फूल खिले हुए थे। एक दिन फूलों का उत्सव था उसी दिन फूलमती का जन्मोत्सव भी था। राजमहल में चारों ओर खुशियों की बहार थी। राकुमारी फूलमती सहेलियों के साथ मस्त हो खेल रही थी। आभूषणों से सजी-धजी बस, देवपरी लग रही थी। फूलमती के रूप सौन्दर्य को देखकर फल-फूलों के रंग-बिरंगे पेड़ भी नत थे। महाराज व महारानी यह सब देख-देख मन-ही-मन प्रसन्न हो रहे थे। लेकिन तभी एक अजीब दृश्य हुआ।
इसलिए महाराज हेमन्त ने महल के चारों ओर चार उद्यान बनवाए। साथ ही आर-पार में फल-फूलों की कई कतारें बनवाई। वसन्त ऋतु में उद्यान नन्दन वन से महक उठते। महाराज-महारानी राजकुमारी फूलमती को फूलों के बीच मस्त देख अत्यन्त प्रसन्न होते। राजकुमारी फूलमती के रूप सौन्दर्य की चर्चा दूर-दूर के प्रान्तों में थी।
वासन्ती ऋतु थी। महल के चारों ओर रंग-बिरंगे फूल खिले हुए थे। एक दिन फूलों का उत्सव था उसी दिन फूलमती का जन्मोत्सव भी था। राजमहल में चारों ओर खुशियों की बहार थी। राकुमारी फूलमती सहेलियों के साथ मस्त हो खेल रही थी। आभूषणों से सजी-धजी बस, देवपरी लग रही थी। फूलमती के रूप सौन्दर्य को देखकर फल-फूलों के रंग-बिरंगे पेड़ भी नत थे। महाराज व महारानी यह सब देख-देख मन-ही-मन प्रसन्न हो रहे थे। लेकिन तभी एक अजीब दृश्य हुआ।
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