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मनोरंजक कथाएँ >> देश प्रेम देश प्रेमदिनेश चमोला
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देश प्रेम...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
मार्च का महीना था। अब कुछ ही दिनों में स्कूल का वार्षिकोत्सव था। बच्चों
के चेहरों पर मुस्कुराहटें थीं। सभी बच्चे समारोह की तैयारियों में जुट
गये थे। दसवीं कक्षा इस स्कूल की सबसे बड़ी कक्षा थी। उनकी विदाई पार्टी
हो चुकी थी। स्कूल के सभी बच्चों ने मिल-जुल कर उन्हें स्मृति के रूप में
एक-एक तोहफा दे दिया था। स्कूल की परम्परानुसार अब सामूहिक चित्र स्कूल के
कार्यालय में टँग चुका था। लेकिन दशवीं कक्षा के छात्र अन्तर्मन से इतने
खुश न थे क्योंकि उन्हें अपने बचपन के काटे हुए दस साल रह-रहकर याद आते
थे। लड़कियों की आँखों में आँशू थे व लड़कों के चहरों पर उदासी।
मुख्य अध्यापक अपने विदाई भाषण में सभी उज्जवल भविष्य की
कामनाएं प्रकट करते हुए अपना भाषण समाप्त कर दिया था। अब धीरे-धीरे छात्र विदा होने लगे। अब उन्हें स्वतन्त्रता दिवस के दिन राष्ट्रध्वज पर बँधे फूलों
की भाँति अपना जीवन महसूसने लगा था, जो कि रस्सी खींचते ही अलग-अलग दिशाओं को बिखर जाते हैं।
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