मनोरंजक कथाएँ >> सिंदबाद की यात्रा सिंदबाद की यात्रारामस्वरूप कौशल
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एक ऐसा व्यापारी जिसने पूरी दुनिया की सैर अपना व्यापार करते हुए की....
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
सिंदबाद की यात्रा
अनेक-जन जन्म से ही बड़े डरपोक होते हैं। उन्हें जब देखो, एक-न-एक भय घेरे
ही रहती है। उठते-बैठते, सोते-जागते-बाते क्या, कोई भी घड़ी ऐसी नहीं, जब
वे अपने जन्म के बैरी भय के हाथों से छुटकारा पा सकते हैं। इसी भय के कारण
ऐसे लोग जीवन में किसी भी प्रकार की उन्नति नहीं कर पाते, और उनकी एक भी
कामना कभी पूरी नहीं हो सकती।
किन्तु वही लोग जिस समय भय को दिल से दूर भगा देते हैं और काम करने पर तुल जाते हैं, तो सफलता की देवी हाथ जोड़े उनके सामने आ खड़ी होती है। इसलिए मनुष्य का कर्तव्य है कि सदा निर्भय होकर आगे बढ़ता जाए। चाहे भारी से भारी संकट का भी सामना क्यों न करना पड़े, आदमी को चाहिए, कभी साहस न छोड़े। सिंदबाद के साथी जब उसको टापू में अकेला छोड़ भाग गए थे, उस समय यदि वह हिम्मत हार कर बैठ जाता, और इस घोर विपत्ति से निकलने का कोई उपाय न करता, तो निश्चय ही, तड़प-तड़प कर उसी जगह प्राण गवाँ बैठता।
पर अपने अनोखे साहस के कारण उसने बड़ी-से-बड़ी कठिनाई को भी कुछ न गिना। आप नहीं हारा, बल्कि संकटों को ही हराकर छोड़ा। फल यह हुआ कि वह न केवल जीता-जागता और सब तरह से सुरक्षित अपने घर पहुँच गया, बल्कि अपने साथियों से कहीं अधिक धन-माल भी अपने साथ ला सका। ऐसी दशा में सफलता उसके पाँव चूमे बिना न रह सकती थी, न रही ही !
सिंदबाद बगदाद नगर का एक व्यापारी था। एक समय की बात है, वह कई-एक दूसरे व्यापारियों के साथ समुद्र की यात्रा पर गया।
किन्तु वही लोग जिस समय भय को दिल से दूर भगा देते हैं और काम करने पर तुल जाते हैं, तो सफलता की देवी हाथ जोड़े उनके सामने आ खड़ी होती है। इसलिए मनुष्य का कर्तव्य है कि सदा निर्भय होकर आगे बढ़ता जाए। चाहे भारी से भारी संकट का भी सामना क्यों न करना पड़े, आदमी को चाहिए, कभी साहस न छोड़े। सिंदबाद के साथी जब उसको टापू में अकेला छोड़ भाग गए थे, उस समय यदि वह हिम्मत हार कर बैठ जाता, और इस घोर विपत्ति से निकलने का कोई उपाय न करता, तो निश्चय ही, तड़प-तड़प कर उसी जगह प्राण गवाँ बैठता।
पर अपने अनोखे साहस के कारण उसने बड़ी-से-बड़ी कठिनाई को भी कुछ न गिना। आप नहीं हारा, बल्कि संकटों को ही हराकर छोड़ा। फल यह हुआ कि वह न केवल जीता-जागता और सब तरह से सुरक्षित अपने घर पहुँच गया, बल्कि अपने साथियों से कहीं अधिक धन-माल भी अपने साथ ला सका। ऐसी दशा में सफलता उसके पाँव चूमे बिना न रह सकती थी, न रही ही !
सिंदबाद बगदाद नगर का एक व्यापारी था। एक समय की बात है, वह कई-एक दूसरे व्यापारियों के साथ समुद्र की यात्रा पर गया।
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